केंद्र ने कहा-प्रोजेक्ट को नहीं पहुंचाएगी कोई नुकसान
शीर्ष अदालत में मंत्रालय ने कहा कि केंद्र ने पहले दिए निर्देशों का अमल करते हुए जवाब दाखिल किया है और अब याचिका खारिज की जा सकती है। मंत्रालय ने यह भी कहा है कि भारत सरकार राष्ट्र के हित में रामसेतु को प्रभावित किए बिना ‘सेतुसमुद्रम शिप चैनल प्रॉजेक्ट’ को पूरा करने के लिए कटिबद्ध है। वह इस प्रोजेक्ट के पहले तय किए एलाइंमेंट के विकल्प खोजने में जुटी है।’
स्वामी ने पिछले साल दायर की थी याचिका
वरिष्ठ बीजेपी नेता सुब्रमण्यन स्वामी ने यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान सेतुसमुद्रम प्रॉजेक्ट को रद्द करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में पिछले साल याचिका दाखिल की थी। स्वामी ने शीप चैनल प्रोजेक्ट के खिलाफ जनहित याचिका दायर करते हुए केंद्र को पौराणिक रामसेतु को हाथ न लगाने का निर्देश देने की अपील की थी। गौरतलब है कि यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान रामसेतु को तोड़कर योजना को आगे बढ़ाने का बीजेपी ने पुरजोर विरोध किया था और आंदोलन चलाया था।
क्या है रामसेतु प्रोजेक्ट
यूपीए सरकार के वक्त 2005 में इस प्रोजेक्ट का ऐलान किया गया था। शुरुआत में इस प्रोजेक्ट की लागत करीब ढाई हजार करोड़ थी, जो कि अब 4 हजार करोड़ तक बढ़ गई है। इसके तहत बड़े जहाजों के आने-जाने के लिए करीब 83 किलोमीटर लंबे दो चैनल बनाए जाने थे। इस प्रोजेक्ट के जरिए जहाजों के आने-जाने में लगने वाला वक्त 30 घंटे तक कम हो जाएगा। इन चैनल्स में से एक राम सेतु जिसे एडम्स ब्रिज भी कहा जाता है, से गुजरना था। अभी श्रीलंका और भारत के बीच इस रास्ते पर समुद्र की गहराई कम होने की वजह से जहाजों को लंबे रास्ते से जाना पड़ता है।