18 जुलाई से शुरू होगा संसद का मानसून सत्र
आपको बता दें कि ये मोदी सरकार के पांच साल के कार्यकाल का आखिरी मानसून सत्र होने वाला है तो जाहिर है कि विपक्ष के हंगामे के बीच सरकार के सामने सदन में काम करने की चुनौती रहेगी। पूरे सत्र में 18 बार संसद लगेगी। माना यही जा रहा है कि विपक्ष के पास भी कई मुद्दे ऐसे हैं, जिनके जरिए वो मोदी सरकार को घेरने की कोशिश करेगी।
आपको बता दें कि ये मोदी सरकार के पांच साल के कार्यकाल का आखिरी मानसून सत्र होने वाला है तो जाहिर है कि विपक्ष के हंगामे के बीच सरकार के सामने सदन में काम करने की चुनौती रहेगी। पूरे सत्र में 18 बार संसद लगेगी। माना यही जा रहा है कि विपक्ष के पास भी कई मुद्दे ऐसे हैं, जिनके जरिए वो मोदी सरकार को घेरने की कोशिश करेगी।
इन मुद्दों पर विपक्ष का हंगामा रहेगा जारी
इससे पहले ग्रीष्मकालीन सत्र में भी विपक्ष के हंगामे की वजह से सदन में काम नहीं हो पाया था, जिसकी वजह से कई अहम बिल पास होने के लिए लटक गए थे। इस बार भी सत्र के हंगामेदार होने के पूरे आसार हैं। विपक्ष के पास इस बार जम्मू कश्मीर के हालात, जम्मू-कश्मीर में लागू किया गया सीजफायर या फिर उससे उत्पन्न स्थिति जैसे मुद्दे रहेंगे। इसके अलावा पीडीपी से गठबंधन तोड़ने को लेकर भी सदन में मोदी सरकार का घेराव होगा। विपक्ष आतंकवाद का मुद्दा भी संसद में उठा सकता है। इसके अलावा विपक्ष किसान, दलित उत्पीड़न जैसे मसलों पर भी वह सत्तापक्ष को घेरने का प्रयास करेगी।
इससे पहले ग्रीष्मकालीन सत्र में भी विपक्ष के हंगामे की वजह से सदन में काम नहीं हो पाया था, जिसकी वजह से कई अहम बिल पास होने के लिए लटक गए थे। इस बार भी सत्र के हंगामेदार होने के पूरे आसार हैं। विपक्ष के पास इस बार जम्मू कश्मीर के हालात, जम्मू-कश्मीर में लागू किया गया सीजफायर या फिर उससे उत्पन्न स्थिति जैसे मुद्दे रहेंगे। इसके अलावा पीडीपी से गठबंधन तोड़ने को लेकर भी सदन में मोदी सरकार का घेराव होगा। विपक्ष आतंकवाद का मुद्दा भी संसद में उठा सकता है। इसके अलावा विपक्ष किसान, दलित उत्पीड़न जैसे मसलों पर भी वह सत्तापक्ष को घेरने का प्रयास करेगी।
सरकार के सामने तीन तलाक बिल पास कराना होगी चुनौती
वहीं दूसरी तरफ विपक्ष के हंगामे के बीच केंद्र सरकार के सामने काम करने की भी चुनौती होगी। सबसे बड़ा चैलेंज तीन तलाक बिल को राज्यसभा से पास कराना होगा। आपको बता दें कि शीतकालीन सत्र में तीन तलाक बिल को लोकसभा से तो पास करा लिया गया था। तीन तलाक के अलावा भी कई अहम बिल ऐसे सदन में लटके पड़े हैं, जिनको पास कराना सरकार के लिए मानसून सत्र में किसी चुनौती से कम नहीं होगा। वहीं मोदी सरकार का ये आखिरी मानसून सत्र होगा। इसलिए सरकार की कोशिश होगी कि इस सत्र को अधिक से अधिक उपयोगी बनाया जाए। सरकार की कोशिश होगी कि ज्यादा से ज्यादा विधेयकों को पास कराया जाए।
वहीं दूसरी तरफ विपक्ष के हंगामे के बीच केंद्र सरकार के सामने काम करने की भी चुनौती होगी। सबसे बड़ा चैलेंज तीन तलाक बिल को राज्यसभा से पास कराना होगा। आपको बता दें कि शीतकालीन सत्र में तीन तलाक बिल को लोकसभा से तो पास करा लिया गया था। तीन तलाक के अलावा भी कई अहम बिल ऐसे सदन में लटके पड़े हैं, जिनको पास कराना सरकार के लिए मानसून सत्र में किसी चुनौती से कम नहीं होगा। वहीं मोदी सरकार का ये आखिरी मानसून सत्र होगा। इसलिए सरकार की कोशिश होगी कि इस सत्र को अधिक से अधिक उपयोगी बनाया जाए। सरकार की कोशिश होगी कि ज्यादा से ज्यादा विधेयकों को पास कराया जाए।