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देश में किडनी से जुड़ी बीमारियों से ग्रसित हैं तीन लाख से ज्यादा लोगः विशेषज्ञ

locationनई दिल्लीPublished: Sep 02, 2018 09:59:38 pm

किडनी विफलता के लगभग 30-40 फीसदी मरीजों का किडनी प्रत्यारोपण सिर्फ इसलिए नहीं हो पाता है, क्योंकि परिवार में समान रक्त समूह का दाता नहीं मिल पाता।

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देश में किडनी से जुड़ी बीमारियों से ग्रसित हैं तीन लाख से ज्यादा लोगः विशेषज्ञ

धर्मशाला। गुर्दा (किडनी) रोग विशेषज्ञ और गुर्दा प्रत्यारोपण फिजीशियन राका कौशल ने रविवार को यहां कहा कि देशभर में तीन लाख से ज्यादा लोग किडनी से संबंधित बीमारियों सें पीड़ित हैं और इसके बावजूद मात्र 10 हजार प्रत्यारोपण हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि किडनी प्रत्यारोपण में सबसे बड़ी समस्या मरीज के परिवार में स्वस्थ और उपयुक्त किडनी दाता की उपलब्धता को लेकर है। किडनी विफलता के लगभग 30-40 फीसदी मरीजों का किडनी प्रत्यारोपण सिर्फ इसलिए नहीं हो पाता है, क्योंकि परिवार में समान रक्त समूह का दाता नहीं मिल पाता। यहां ‘कंटीन्यूड मेडिकल एजुकेशन’ (सीएमई) में किडनी प्रत्यारोपण पर बोल रही थीं।
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‘वरदान है बेमेल किडनी प्रत्यारोपण’

आईवी हॉस्पिटल ने मोहाली में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए), धर्मशाला के सहयोग से किया था। कौशल ने कहा कि एक समय था जब ऐसे किडनी प्रत्यारोपण को उच्च अस्वीकार्यता के कारण असंभव और उच्च जोखिम भरा माना जाता था, जिसके कारण प्रत्यारोपित अंग एंडीबॉडी द्वारा अस्वीकृत करने के बाद निष्क्रिय हो जाता है। किडनी प्रत्यारोपण सर्जन अविनाश श्रीवास्तव ने कहा कि ‘एबीओ (ए, बी, एबी, ओ रक्त समूह) बेमेल किडनी प्रत्यारोपण’ ऐसे मरीजों के लिए वरदान है, क्योंकि इससे उन्हें ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ता।
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‘एंटीबॉडी के इलाज कर खतरे को कम किया जाता है’

उन्होंने कहा, ‘हम पिछले तीन साल से सफल ‘एबीओ बेमेल किडनी प्रत्यारोपण’ कर रहे हैं। ऐसे प्रत्यारोपण करने के लिए रक्त में निचली एंडीबॉडी का इलाज कर दाता की किडनी की अस्वीकार्यता के खतरे को कम किया जाता है। ऐसे ‘एबीओ बेमेल प्रत्यारोपण’ के परिणाम सामान्य प्रत्यारोपण जैसे ही होते हैं, जिसमें लगभग 95 फीसदी किडनी पहले साल के अंत तक काम करने लगती है।’
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