इस साल 10576 छात्रों ने 23 आईआईटी संस्थानों में दाखिला पाया। इन सफल छात्रों में से 5,539 छात्र यानी 52.4 फीसदी ने खुद से तैयारी की।
नई दिल्ली. आईआईटी में दाखिले के लिए अब छात्र कोचिंग पर ज्यादा निर्भर नहीं हैं। अधिकतर सेल्फ स्टडी को प्राथमिकता दे रहे हैं। खुद से तैयारी करने वाले ऐसे छात्रों की संख्या देश में 52.4 फीसदी है। पहली बार इस तरह का ट्रेंड देखने को मिला है।
कोचिंग के जरिये सीट पाने वाले कम हुए
इस साल की दाखिला प्रक्रिया का जिम्मा आईआईटी गुवाहाटी पर था। उसने दाखिले के नए आंकड़े जारी किए हैं। संस्थान के अनुसार, इस दफा 10,576 छात्रों ने 23 आईआईटी संस्थानों में दाखिला पाया है। इन सफल छात्रों में से 5,539 छात्र यानी 52.4 फीसदी ने घर बैठकर खुद से तैयारी की थी। 4,711 छात्रों (44.5 फीसदी) ने कोचिंग के जरिये सीट पाई। इनके अलावा दो फीसदी ऐसे छात्र रहे जिन्होंने सेल्फ स्टडी के साथ-साथ कुछ विषयों के लिए कोचिंग ली थी।
75 फीसदी सफल छात्र शहरों से आ रहे
आंकड़े बताते हैं कि नए सत्र में दाखिला ले चुके 75 फीसदी छात्र देश के छोटे-बड़े शहरों से ताल्लुक रखते हैं। ग्रामीण इलाकों से आने वाले छात्रों की संख्या में कमी आई है। पिछले साल सफल हुए 72 फीसदी छात्र शहरों से थे। आईआईटी गुवाहाटी का कहना है कि अब अभिभावक भी समझ गए हैं कि जेईई-मेन और जेईई-एडवांस की परीक्षा पास करने के लिए कोचिंग की ज्यादा जरूरत नहीं है। आईआईटी दिल्ली के रिसर्च विभाग के प्रमुख सुनील तुली का कहना है कि अगर छात्र 11वीं से ही ध्यान देने लग जाएं तो वे बिना कोचिंग आसानी से सीट पक्की कर सकते हैं।
अधिकतर के माता-पिता सरकारी कर्मचारी
माता-पिता के पेशे के बारे में भी एक ट्रेंड देखने को मिला। ज्यादातर सफल छात्र के अभिभावक सरकारी नौकरी वाले हैं। आईआईटी, एनआईटी और आईआईआईटी की सीट पाने वाले सभी 36,566 छात्रों में से 10,200 के माता-पिता सरकारी नौकरी करते हैं। 5,814 के अभिभावक कारोबारी हैं। 4,097 के माता-पिता निजी क्षेत्र में नौकरी करते हैं। 3,213 के माता-पिता खेती से जुड़े हैं। 2,018 के अभिभावक पब्लिक सेक्टर में काम करते हैं और 1700 के माता-पिता शिक्षक हैं। 327 के अभिभावक लॉ फील्ड में हैं, 59 के फार्मेसी सेक्टर में और केवल 21 के माता-पिता आर्किटेक्ट हैं।