कामायनी एक्सप्रेस में खंडवा से चढ़े हरदा निवासी टैक्स कंसल्टेंट शशि भूषण पंडित ने बताया कि वह जनरल डिब्बे में बैठे हुए थे जब उन्होंने तेज आवाज सुनी। झटके के साथ ट्रेन रूक गई। पंडित ने बताया, “मैं कुछ लोगों को बचा सकता था, लेकिन वहां घना अंधेरा था। ट्रैक पर कमर जितना पानी था और करंट भी था, इसलिए मैंने अपने डिब्बे में ही वापस जाना ठीक समझा।”
पंडित ने बताया कि जब रेवले कर्मी वहां पहुंचे तो उन्होंने व अन्य यात्रियों ने इंजन को सुरक्षित बची बोगियों से अलग करने के लिए कहा। पंडित ने बताया कि स्लीपर क्लास की कुछ बोगियां पुल से नीचे लट क रही थीं। उत्तरप्रदेश के रहने वाले संदीप त्रिपाठी ने बताया कि वे एस-11 बोगी में सफर कर रहे थे जब उन्होंने तेज धमाके की आवाज सुनी। त्रिपाठी ने बताया, “मेरी बोगी में कम से कम 50 यात्री थे और बिलकुल अंधेरा था।”