‘मीडिया रिपोर्टिंग पर प्रतिबंध संभव नहीं’ न्यायमूर्ति मदन भीमराव लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने पटना उच्च न्यायालय के मामले में मीडिया रिपोर्टिंग पर प्रतिबंध लगाने के आदेश को निष्प्रभावी बना दिया। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट करते हुए कहा ‘पूरी तरह से प्रतिबंध नहीं हो सकता लेकिन मीडिया को रिपोर्टिंग के दौरान सावधान रहना चाहिए।’ इससे पहले पटना उच्च न्यायालय इस मामले की निगरानी कर रही था।
पीड़िता की पहचान जाहिर करने भी सख्ती सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी दोहराया कि मीडिया पीड़िताओं की तस्वीर को न तो प्रकाशित कर सकता है और न ही टेलीकास्ट कर सकता है, यहां तक कि धुंधले रूप (ब्लर) में भी नहीं। शीर्ष अदालत ने कहा, ‘मीडिया से इस तरह की घटनाओं को सनसनीखेज नहीं बनाने का आग्रह है।’
आईएस के लिए केरल के युवक ने की थी अफगानिस्तान में घुसपैठ, आज कोर्ट में पेश करेगी NIA ‘परिजनों को भी नहीं उजागर करनी चाहिए पहचान’ अदालत ने स्पष्ट किया कि पीड़िताओं का साक्षात्कार नहीं लिया जा सकता और किसी भी प्रकार से उनकी पहचान उजागर नहीं की जा सकती। न्यायालय ने कहा कि यहां तक कि उनके परिजनों की पहचान को भी उजागर नहीं करना चाहिए। गौरतलब है कि हाल ही में जम्मू-कश्मीर में हुई दुष्कर्म की घटना को लेकर भी कई मीडिया संस्थानों ने पीड़िता का नाम बता दिया था, जिसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जुर्माना लगाया था।