तेलंगाना: चंद्रशेखर राव को मिल सकता है झटका, कांग्रेस ने चुनाव आयोग को लिखी चिट्ठी पांच फीसदी आरक्षण की मांग ये मौन प्रदर्शन मुस्लिम समुदाय के लिए नौकरी और शिक्षा के क्षेत्र में पांच फीसदी आरक्षण की मांग समेत कई मुद्दों को लेकर निकाला गया। मॉब लिंचिंग, लव जेहाद, जैसे मुद्दों पर भी सुरक्षा की मांग की गई। इस मूक मार्च में कई सियासी पार्टियों ने भी शिरकत की। मूक मार्च के दौरान प्रदर्शनकारी अपने हाथ में बैनर, पोस्टर और होर्डिंग्स लेकर चलते हुए भी नजर आए। उनके बैनर्स पर ‘आरक्षण हमारा मूलभूत अधिकार’, ‘संविधान के सम्मान में मुस्लिम समाज मैदान में’जैसे नारे लिखे गए थे। समुदाय के अधिकर पुरुष अपनी परंपरागत मुस्लिम टोपी पहने हुए थे, वहीं महिलाएं काला बुर्का। गौरतलब है कि हाल ही में महाराष्ट्र के 60 मुस्लिम संगठनों ने एक फोरम का गठन किया। मुस्लिम समाज पिछले कई सालों से पांच प्रतिशत आरक्षण की मांग कर रहा है, लेकिन यह पहला मौका है जब इतनी बड़ी संख्या में संगठनों ने एक साथ सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला हो। सकल मराठा समिति की तर्ज पर अब मुस्लिम आरक्षण संयुक्त समिति की स्थापना की गई है। दरअसल, वर्ष 2014 में कांग्रेस ने चुनाव के ठीक पहले मराठा आरक्षण के साथ मुस्लिमों को भी शिक्षा और रोजगार में पांच फीसदी आरक्षण दिया था। बाद में यह मामला कोर्ट गया, जहां अदालत ने रोजगार में पांच फीसदी आरक्षण पर रोक लगा दी थी, लेकिन शिक्षा में आरक्षण पर कोई रोक नहीं लगी। समाज के नेता कहते रहे हैं कि अदलत ने मराठा आरक्षण को खारिज कर दिया था, लेकिन मुस्लिम आरक्षण को इस आधार पर कायम रखा था कि समुदाय आर्थिक रूप से पिछड़ा है। ऐसे में मुसलमानों को आरक्षण दिया जाना चाहिए।