तीन तलाक को एक गैर जमानती अपराध माना गया है
आपको बता दें कि बीते 19 सितंबर (बुधवार) को मोदी सरकार ने तीन तलाक पर बड़ा फैसला लेते हुए अध्यादेश को मंजूरी दे दी थी। इस अध्यादेश के बाद अब एक बार में तीन तलाक देना एक अपराध माना जाएगा। बता दें कि इस नए अध्यादेश के मुताबिक तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) को गैर जमानती अपराध माना गया है लेकिन संशोधन के हिसाब से अब मजिस्ट्रेट को जमानत देने का अधिकार होगा। इसपर पहली सुनवाई 28 सितम्बर को होगी।
तीन तलाक पर अध्यादेशः सीपीएम ने कहा मोदी सरकार का यह कदम संसद को दरकिनार करने जैसा
राज्यसभा में अटका है यह बिल
आपको बता दें कि लोकसभा में तीन तलाक को बिल पारित हो जाने के बाद राज्यसभा में अटक गया था। कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने इस बिल में कुछ संशोधन करने की मांग की थी। हालांकि सरकार ने इसे मान भी लिया लेकिन इसके बावजूद भी राज्यसभा में यह बिल पास नहीं हो पाया था। बता दें कि सरकार की ओर से एक बार किसी बिल पर अध्यादेश जारी करने के बाद यह आगले 6 महीने तक लागू रहता है। इस दरमियान सरकार को संसद में इसे पास कराना होता है। जिससे की यह कानून को रूप ले सके। मालूम हो कि सरकार ने तीन तलाक बिल को बजट सत्र और मानसून सत्र में पेश किया था।