सुन्नी वक्फ बोर्ड ने रिव्यू पिटिशन से किया था मना
आपको बता दें कि मंगलवार को ही सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं करने का फैसला किया था। सुन्नी वक्फ बोर्ड के इस फैसले के बाद मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का कहना है कि इससे हमारी रणनीति पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
सभी मुस्लिम संगठन हमारे साथ हैं- पर्सनल लॉ बोर्ड
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने ट्विटर पर भी लिखा है, ‘हम अपने संवैधानिक अधिकार का इस्तेमाल करते हुए दिसंबर के पहले हफ्ते में बाबरी केस में पुनर्विचार याचिका दायर करने जा रहे हैं। मामले को आगे बढ़ाने के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड का निर्णय कानूनी रूप से हमें प्रभावित नहीं करेगा। सभी मुस्लिम संगठन हमारे साथ हैं।’
कोर्ट मस्जिद की जमीन नहीं बदल सकता- जफरयाब जिलानी
जफरयाब जिलानी पहले भी कह चुके हैं कि मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन दूसरी जगह लेने का प्रस्ताव शरीयत के खिलाफ है और इस्लाम में इसकी इजाजत नहीं दी गई है। बोर्ड का कहना है कि कोर्ट मस्जिद की जमीन को बदल नहीं सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू पक्ष को दिया था विवादित जमीन का मालिकाना हक
आपको बता दें कि बीते 9 नवंबर को देश की सर्वोच्च अदालत ने अयोध्या विवाद पर ऐतिहासिक फैसला दिया था। कोर्ट ने राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाते हुए विवादित जमीन का मालिकाना हक हिंदू पक्ष को दे दिया था। साथ ही मुस्लिम पक्ष को पांच एकड़ जमीन कहीं और देने का फैसला सुनाया था।