VIDEO: DCW ने तीन तलाक पर अध्यादेश का किया स्वागत, कहा- बहु-विवाह और हलाला पर भी बनाएं कानून
क्या है पूर मामला
आपको बता दें कि मुस्लिम समुदायों में बर्षो से तीन तलाक के नाम पर महिलाओं को प्रताड़ित करने का मामला सामने आता रहा है। इस समस्या को लेकर एक याचिका की सुनवाई करते हुए देश की सर्वोच्च अदालत ने 22 अगस्त 2017 को एक बार में तीन तलाक को गैरकानूनी और असंवैधानिक करार दिया था। इसके बाद केंद्र सरकार से कहा था कि इस पर एक कानून बनाएं। केंद्र सरकार ने बिल बनाकर संसद में पेश भी किया, लेकिन राजनीति के कारण यह कानून का रूप नहीं ले सका है। तीन तलाक का यह बिल लोकसभा से पारित हो चुका है, लेकिन विपक्षी दलों के सहमत नहीं होने के कारण राज्यसभा में अटक गया है।
तीन तलाक बिल में ये हैं अहम तथ्य, जिनकी वजह से मुस्लिम महिलाआें को मिलेगाा न्याय
क्या खास बात है इस अध्यादेश में
आपको बता दें कि इस अध्यादेश में तील तलाक को गैर जमानती अपराध माना गया है। अध्यादेश को मंजूरी मिलने के बाद केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष मुल्क में बड़ी संख्या में महिलाओं के साथ नाइंसाफी हो रही थी। तीन तलाक का यह मुद्दा नारी न्याय और नारी गरिमा का मुद्दा है। बता दें कि इस नए अध्यादेश में मुस्लिम महिलाओं के हक के लिए कुछ महत्वपूर्ण बिन्दुओं को रेखांकित किया गया है।
– पीड़िता के खून या शादी के रिश्ते वाले सदस्यों में से कोई भी FIR दर्ज करा सकता है।
– पड़ोसी या कोई अनजान सख्स शिकायत दर्ज नहीं करा सकता है।
– यह एक संज्ञेय अपराध की श्रेणी में तब शामिल किया जाएगा जब पीड़िता के परिजन खुद इसकी शिकायत दर्ज कराएंगे।
– तीन तलाक होने की स्थिति में बच्चों की कस्टडी का अधिकार मां के पास होगा।
– पीड़िता जब चाहेगी तभी समझौता हो सकेगा।
– पीड़िता की सहमति से ही मजिस्ट्रेट आरोपी को जमानत दे सकता है।
– पीड़िता और उसके बच्चे के भरण-पोषण के लिए रकम के निर्धारण का अधिकार मजिस्ट्रेट के पास होगा।
– मजिस्ट्रेट स्थिति के अनुरुप जितना भी रकम तय करेगा पति को देना पड़ेगा।