दिल्ली की साकेत कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सौरभ कुलश्रेष्ठ ने बीते मंगलवार 4 फरवरी को दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। कुलश्रेष्ठ ने मंगलवार को ही बृजेश ठाकुर को बाकी जिंदगी जेल के भीतर काटने की सजा सुनाई।
खुफिया विभाग के इनपुट पर कई राज्य हाई अलर्ट पर, कई नेताओं पर आतंकी हमले का खतरा इससे पहले बीते सप्ताह अदालत में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) की ओर से पेश सरकारी वकील अमित जिंदल ने मामले के दोषी और पूर्व विधायक बृजेश ठाकुर को आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने की अपील की थी। दरअसल बृजेश ठाकुर ही मुजफ्फरपुर शेल्टर होम का प्रबंधन करने वाले गैर सरकारी संगठन (NGO) सेवा संकल्प एवं विकास समिति के प्रमुख हैं।
वहीं, दूसरी तरफ दोषियों के वकील ने बाकी दोषियों की कमजोर आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए अदालत से उन्हें कम से कम सजा देने की मांग की थी। इससे पहले बीते 20 जनवरी को अदालत ने इस मामले में बृजेश ठाकुर समेत 18 अन्य को दोषी करार दिया था।
सड़क किनारे नारियल पानी से लदे ठेले पर पड़ी पुलिस की नजर, जब नाबालिग विक्रेता को धरा गया तब हुआ खुलासा गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को बिहार से दिल्ली की अदालत में स्थानांतरित करते हुए आदेश सुनाया था कि इसका निपटारा छह माह के भीतर किया जाए। इसके बाद ट्रायल कोर्ट ने मामले के 20 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय कर दिए थे।
बता दें कि 26 मई 2018 में मुजफ्फरपुर शेल्टर होम का मामला उस वक्त सामने आया था जब टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) ने यहां रहने वाली लड़कियों के साथ यौन शोषण को लेकर हलफनामा दर्ज कराया था। शेल्टर होम में 40 लड़कियों के साथ यौन शोषण किया गया था।