Ganga नदी के 100 मीटर तक बने निर्माण कार्य होंगे ध्वस्त, NGT ने जारी की गाइडलाइन ये है मामला बताया जा रहा है कि पानी में दिनों-दिन फैलती गंदगी को लेकर कोर्ट ने ये फैसला किया है। बता दें कि ऋषिकेश निवासी हरिओम कश्यप ने गंगा नदी की गंदगी का मामला उठाते हुए एक जनहित याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि 2014 में सरकार ने भगवती काला व वीरेंद्र सिंह गुसाई को राफ्टिंग कैंप लगाने के लिए कुछ शर्तों के साथ लाइसेंस दिया था। लेकिन लाइसेंस के नियमों के अनुसार यहां पर काम नहीं हो रहा है और नियमों व शर्तोॆ का उल्लंघन करते हुए राफ्टिंग के नाम पर नदी के किनारे कैंप लगने शुरु हो गए।
यहीं नहीं इन कैंपों के सहारे असमाजिक कार्य, मांस-मदिरा का सेवन, डीजे बजाना, बाथरूम का मुहाना नदी में खोलना और कूड़ा कचरा नदी में बहाया जा रहा है। गंगा नदी के किनारे इस तरह के काम करना उचित नहीं है। साथ ही याचिका में यह भी कहा गया है कि नदी किनारे इस तरह के कैंपों को लाइसेंस देकर पानी के प्रदूषण को बढ़ावा मिल रहा है और गंगा का पवित्र पानी भी अशुद्ध हो रहा है।
सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने सरकार को दिए आदेश याचिकाकर्ता ने इस संबंध में कुछ फोटो भी याचिका में लगाए हैं। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने सरकार को आदेश दिए हैं कि वह नदी के किनारे रीजनेबल फीस चार्ज किए बिना किसी को भी लाइसेंस जारी नहीं कर सकती और खेलों के नाम पर गलत काम करने की इजाजत भी नहीं दे सकती।