अब नोटबंदी को एक साल हो गया है ऐसे में एक इंटरव्यू में नंदलाल ने बताया कि नोटबंदी के एक साल बाद वह क्या सोचते हैं। नंद लाल पुराने गुरुग्राम के भीम नगर इलाके में रहते हैं। उनके कमरे में एक ट्रंक, एक छोटा सा बिस्तर, प्लास्टिक की एक कुर्सी, एक बाल्टी, एक ऐस्ट्रे, पानी की कुछ बोतलें और भगवान शिव और गणेश की एक-एक तस्वीर है। विभाजन के बाद वह पाकिस्तान के डेरा गाजी खान से भारत आए थे। उन्हें 1991 में आर्मी से रिटायरमेंट मिली थी। उनकी एक गोद ली हुई बेटी है जिसकी शादी हो चुकी है।
जब उनसे पूछा गया कि उन्हें पिछले साल नोटबंदी के बाद कैश लेने में उनको किस मुश्किल से गुजरना पड़ा था? तो इस सवाल पर नंद लाल बताते हैं कि वह बैंक में घंटों खड़े रहे, फिर भी उन्हें जरूरत की रकम नहीं मिली। उन्होंने बताया कि उन्हें किराया और मेड को मासिक वेतन देने के लिए पैसे की जरूरत थी।
अपने रोने पर वह कहते हैं कि जब वह बैंक के बाहर कतार में खड़े थे तो किसी ने उन्हें धक्का दे दिया। इस क्रम में एक महिला ने उनके पैर कुचल दिए। उन्होंने बताया इसके अलावा उन्हें कोई दिक्कत नहीं थी। लाल ने कहा, ‘शुरू-शुरू में उन्हें पैसे निकालने में मुश्किल हुई, लेकिन बाद में सब सही हो गया।’ अब उनका कहना है, ‘अब मैं अपनी मेड को बैंक भेज देता हूं और वह मेरी ओर से पैसे निकालकर मुझे थमा देती है।’
आगे लाल बताते हैं कि अब वह नोटबंदी से खुश हैं। लेकिन, सवाल यही है कि क्या नोटबंदी सही फैसला था? इस पर लाल का कहना है कि वह सरकार के हर फैसले का समर्थन करेंगे क्योंकि वह एक सर्विसमैन हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने 20 सालों तक देश की आर्मी के लिए काम किया और वह सरकार के हर फैसले का पालन करेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार जो भी करती है, वह देश की भलाई के लिए होता है।’ उन्होंने कहा मैं एक सैनिक हूं और मैं सरकार के हर फैसले के साथ हूं।