मुख्य कार्यकारी अधिकारी विशाल सिक्का के पिछले सप्ताह इस्तीफा देने और सह संस्थापक एन आर नारायणमूर्ति के खिलाफ बोर्ड के आरोपों के बाद उपजे हालात में कंपनी की डगमगाती नैया को संभालने के लिए निलेकणी को वापस कंपनी बोर्ड में लाया गया है। इंफोसिस के सात सह संस्थापकों में से एक निलेकणी इससे पहले 2002 से 2007 के बीच नारायणमूर्ति के बाद कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रह चुके हैं।
आधार कार्ड के जनक हैं नीलकेणी निलेकणी 2009 में मनमोहन सिंह सरकार के आमंत्रण पर इंफोसिस से इस्तीफ देकर आधार कार्ड परियोजना को लागू करने वाले भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण में चले गए थे। प्राधिकरण के प्रमुख रहे निलेकणी ने वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव में बेंगलूरु दक्षिण ने भाजपा के वरिष्ठ नेता एच एन अनंत कुमार के खिलाफ चुनाव लडऩे के लिए इस्तीफा दे दिया था। हालांकि, कांग्रेस उम्मीदवार रहे निलेकणी चुनाव हार गए थे। इंफोसिस में निलेकणी और उनके परिवार का 2029 फीसदी शेयर है।
निलेकणी ने वापसी पर जताई खुशी
निलेकणी ने कंपनी में गैर कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर वापसी पर खुशी जताते हुए कहा कि वे नई भूमिका में बोर्ड के सदस्यों और कार्यकारी प्रबंधन के साथ कारोबार को आगे बढ़ाने और सभी हितग्राहियों के फायदे के लिए काम करेंगे। निलेकणी ने पिछले ३ साल के दौरान कंपनी को दी गई सेवा के लिए सिक्का को धन्यवाद भी दिया। कंपनी की ओर जारी विज्ञप्ति में शेषासायी ने कहा कि निलेकणी के नेतृत्व में कंपनी नई रणनीति अपनाकर आगे बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात में निलेकणी के लिए सबसे उत्तम नेतृत्वकर्ता होंगे।
नारायणमूर्ति ने की कॉन्फ्रेंस कैंसिल सूत्रों के मुताबिक नंदन निलकेनी को वापसी लाने के लिए नारायणमूर्ति ने निवेशकों से मिलने का अपना तय कार्यक्रम रद्द कर दिया। अपना खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए नारायणमूर्ति ने निवेशकों से मिटिंग कैंसिल कर दिया है। हालांकि नारायणमूर्ति की ये मीटिंग 29 अगस्त को होगी।
सिक्का और नारायणमूर्ति के बीच था मनमोटाव दरअसल विशाल सिक्का के सीईओ पद से इस्तीफा देने के बाद काफी उथल पुथल चल रही थी। विशाल सिक्का के इस्तीफे के बाद आर शेषैया और को-चेयर रवि वेकंटसन ने भी इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद नए सीईओ की खोज काफी तेजी से चल रही थी । दरअसल विशाल सिक्का और संस्थापक नारायणमूर्ति के बीच पिछले कुछ समय से विवाद की स्थिति बनी हुई थी। सिक्का का आरोप है कि उनके काम में बोर्ड के कई लोगों का बेवजह दखल था। जिसके चलते काम पर गलत असर पड़ता था।