नवाज शरीफ ने बेनजीर भुट्टो के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए अल-कायदा के फाउंडर ओसामा बिन लादेन से पैसे लिए थे
इस्लामाबाद। नवाज शरीफ ने बेनजीर भुट्टो के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए अल-कायदा के फाउंडर ओसामा बिन लादेन से पैसे लिए थे। यह दावा खालिद ख्वाजा:शहीद ए अमन नाम की एक पाकिस्तानी किताब में किया गया है। किताब में लिखा है कि यह पैसे जिया शासन के खत्म होने के बाद लिए गए थे, लेकिन सत्ता में आने के बाद शरीफ ओसामा से किए हर वादे पर मुकर गए। पाकिस्तान के एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक यह किताब पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के एक्स ऑपरेटिव खालिद ख्वाजा की पत्नी शमामा खालिद ने लिखी है और इस किताब में उपरोक्त बातों का दावा किया गया है।
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अब्दुल्लाह आलम ने ख्वाजा को ओसामा से मिलवाया-
किताब में लिखा है कि अब्दुल्लाह आलम ने ख्वाजा को ओसामा से मिलवाया था। आजम को विश्व स्तर पर जिहाद को शुरू करने के तौर पर जाना जाता रहा है। आजम एक फिलीस्तीन का सुन्नी मुस्लिम था और उसका काम फंड एकत्रित कर जिहाद के लिए युवाओं की भर्ती करना था। इतना ही नहीं वह खुद ओसामा का संरक्षक भी था और उसके ही कहने पर ओसामा ने अफगानिस्तान की राह पकड़ी थी।
तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान और हक्कानी नेटवर्क के संपर्क में आया-
शमीमा ने अपनी किताब में लिखा है कि यहीं पर ख्वाजा तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान और हक्कानी नेटवर्क के संपर्क में आया था। कई जगहों पर ख्वाजा की मदद लश्कर -ए-झांगी संगठन ने भी की थी जिसका चीफ उस्मान पंजाबी था। किताब के मुताबिक ख्वाजा 26 मार्च 2010 को उत्तरी वजरीस्तान में दाखिल हुआ था। किताब के मुताबिक ख्वाजा उत्तरी वजरीस्तान में दूसरे जगहों पर हुई भारी बमबारी के चलते आया था।
ख्वाजा की मौत के पीछे रॉ और सीआईए का हाथ-
इस किताब में शमीमा ने ख्वाजा की मौत के पीछे भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ और अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए का हाथ भी बताया है। किताब के मुताबिक उसकी मौत के बाद दिखाया गया था कि उसका लिंक लाल मस्जिद हमले से था।
पत्रकार और रिटायर्ड कर्नल की हुई हत्या-
उस वक्त उसके साथ एक पत्रकार और एक रिटायर्ड कर्नल भी था जिनकी हत्या कर दी गई थी। लेकिन बाद में ख्वाजा का भी कुछ पता नहीं चला था। बाद में मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एशियन टाइगर ग्रुप ने उसकी हत्या करने की बात कबूल की थी। हालांकि इस तरह का ग्रुप पहले कभी सामने नहीं आया था।