नई दिल्ली। स्वतंत्रता संग्राम के महान सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस के निधन पर आधारित एक लिखी गई है। Laid to Rest: The Controversy over Subhas Chandra Bose’s Death में दावा किया गया है कि टोक्यो के रेंकोजी मंदिर में रखी अस्थियां नेताजी की ही हैं और यह अनादर की बात है कि उनके देहांत के 72 साल बाद भी उनकी अस्थियां भारत नहीं लाई गईं।
सुभाष चंद्र बोस के निधन पर आधारित एक नई किताब, जिसकी प्रस्तावना बोस की बेटी अनीता बोस ने लिखी है, के अनुसार नेताजी का निधन 18 अगस्त, 1945 में ताइपे में एक विमान दुर्घटना में हुआ था। किताब के लेखक आशीष रे का दावा है कि टोक्यो के रेंकोजी मंदिर में रखी अस्थियां नेताजी की ही हैं और यह अनादर की बात है कि उनके देहांत के 72 साल बाद भी उनकी अस्थियां भारत नहीं लाई गईं।
किताब 'लेड टू रेस्ट' के लेखक आशीष रे ने कहा कि नेताजी की मौत में कोई रहस्य नहीं है, केवल एक व्यर्थ का विवाद इससे जुड़ा है। सुभाष बोस का निधन निस्संदेह 18 अगस्त, 1945 को ताइपे में विमान दुर्घटना में हुआ था। मेरी किताब में पहली बार 11 विभिन्न अधिकारियों और अनाधिकारिक तौर पर की गई जांच ने इसकी फिर से पुष्टि की है।
रे ने कहा कि टोक्यो के रेंकोजी मंदिर में रखी अस्थियां निस्संदेह उनकी ही हैं। भारत के एक महान सपूत की याद के लिए यह बेहद तौहीन की बात है कि उनके निधन के 72 वर्षो के बाद भी उनकी अस्थियां भारत नहीं लाई गईं
न्यायमूर्ति मुखर्जी जांच आयोग (जेएमसीआई) की रिपोर्ट में कहा गया कि विमान दुर्घटना में बोस के निधन की कहानी और कुछ नहीं, केवल हकीकत पर पर्दा डालने की कोशिश है, जिसे तत्कालीन संप्रग सरकार ने 2006 में अस्वीकार कर दिया। उन्होंने अपनी किताब में लिखा है कि पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव को भी यकीन था कि नेताजी का निधन विमान दुर्घटना में हुआ था और रेंकोजी मंदिर में रखी अस्थियां सुभाष बोस की ही हैं।