अयोध्या मामले में अगली सुनवाई 17 मई को, मुस्लिम पक्ष ने रखी ये दलीलें
मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा की तीन सदस्यीय विशेष पीठ इस मामले को देख रही है।

नई दिल्ली। अयोध्या मामले में मुस्लिम पक्ष की दलीलें पूरी हो गईं हैं। इस मामले को संविधान पीठ के पास भेजना चाहिए या नहीं इस बात पर मंगलवार को मुस्लिम पक्ष ने अपनी बात रखी।
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बता दें कि सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष के लोगों ने मामले पर लगातार हिंदू पक्षकारों और संगठनों की ओर से हो रही बयानबाजी पर अपना आक्रोश जाहिर किया। गौरतलब है कि मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा की तीन सदस्यीय विशेष पीठ इस मामले को देख रही है।
मुस्लिम पक्ष के वकील का बयान
मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने अपनी बात रखते हुए कहा कि ममाले पर हिंदू पक्ष के लोग अपने मन मुताबिक बयान दे रहे हैं, जबकि हमारी तरफ से इस बात का खास ख्याल रखा जाता है कि मामले को लेकर कोई गलत बयान ना जाने पाए और हमने खुद को हमेशा से ही अनुशासित रखा है। अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि यह एक अवमानना की तरह ही है।
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अयोध्या का मामला एक बेहद ही संवेदनशील मामला है, इस पर गलत और मन-मर्जी का बयान नहीं देने चाहिए। मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने इस बात पर जोर दिया कि मामले को संविधान पीठ में भेजना चाहिए। इसके लिए उन्होंने इस्माइल फारुखी जजमेंट की बात भी कही और कहा कि इस जजमेंट में सर्वोच्च न्यायलय ने कहा था कि नमाज कहीं भी पढ़ी जा सकती है , मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम का अभिन्न अंग नहीं है। पहले इस मामले को दोबारा देखा जाए फिर जमीन विवाद मामले की सुनवाई की जाए।
अगली सुनवाई 17 मई को
बता दें कि अयोध्या मामले पर अगली सुनवाई 17 मई को कि जाएगी। उसी दिन हिंदू पक्ष की तरफ से दलीलें पेश की जाएंगी। हिंदू पक्ष की दलीलों को सुनने के बाद ही इस बात का फैसला लिया जाएगा कि मामले को संविधान पीठ में भेजना है या नहीं।
क्या है अयोध्या विवाद
अयोध्या विवाद एक राजनीतिक, ऐतिहासिक और सामाजिक-धार्मिक विवाद बन गया है। इस विवाद का मूल मुद्दा हिंदू देवता राम की जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद की स्थिति को लेकर है। विवाद इस बात को लेकर है कि क्या हिंदू मंदिर को ध्वस्त कर वहां मस्जिद बनाया गया या मंदिर को मस्जिद के रूप में बदल दिया गया। इसी मामले को लेकर अबी तक बहस जारी है। यहां कर कि मामला सर्वोच्च न्यायालय में है जिस पर अगली सुनवाई 17 मई को होगी।
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