विविध भारत

चीन से निपटने के लिए भारतीय सेना के कमांडरों ने बनाई नई रणनीति

भारतीय सेना के कमांडरों की बैठक में चीन से निपटने के लिए कई अहम फैसले लिए गए।

Oct 13, 2017 / 07:36 pm

ashutosh tiwari

नई दिल्ली। डोकलाम में भारत और चीनी सेना के बीच चले दो महीने के लंबे विवाद से भारतीय सेना ने कई सबक लिए हैं। इस पर सैन्य कमांडरों ने बैठक कर कई अहम फैसले लिए गए। बैठक के बाद स्टॉफ ड्यूटी के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल विजय सिंह ने बताया कि डोकलाम में दो महीने चले विवाद के बाद रक्षा मंत्रालय ने सभी पहलुओं पर विचार किया।
इसके बाद रक्षा मंत्रालय ने करीब 4000 किलोमीटर लंबी चीन से लगती सीमा पर बुनियादी ढांचे को मजबूत करने का फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि उत्तरी सेक्टर में मजबूत निर्माण गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाएगा। लेफ्टिनेंट जनरल विजय सिंह ने बताया कि भारत-चीन सीमा पर नीति, लिपुलेख, थांगला 1 को सड़क से जोड़ा जाएगा। इस काम का जिम्मा बार्डर रोड आर्गेनाइजेशन (बीआरओ) को सौंपा गया है। इसके साथ ही इस निर्माण कार्य को 2020 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
गोला-बारूद की खरीद को प्राथमिकता
लेफ्टिनेंट जनरल विजय सिंह ने बताया कि इस बैठक में सेना की क्षमताओं को बढ़ाना मुख्य मुद्दा था। उन्होंने कहा कि बैठक में इस बात पर भी फैसला हुआ कि गोला-बारूद की खरीद को प्राथमिकता दी जाएगी। वहीं एक हफ्ते तक चले इस कमांडरों के इस बैठक में सेना प्रमुख का भी संबोधन हुआ। सेना प्रमुख ने कमांडरों को हर परिस्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने को कहा है। वहीं दूसरी ओर बैठक में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने सेना के अधिकारियों और जवानों के कार्यों की सराहना की।
72 दिन तक चला डोकलाम विवाद
आपको बता दें कि भारत और चीन के बीच भूटान के डोकलाम क्षेत्र को लेकर करीब 2 महीने से ज्यादा ये विवाद चला। इस दौरान दोनों देशों की सेनाएं डोकलाम में युद्ध सामग्री के साथ डेरा डाले हुईं थीं। इस तनाव के दौरान चीन की तरफ से कई बार युद्ध की गीदड़ भभकियां दी गईं थी, लेकिन भारत की तरफ डिप्लोमेटिक अंदाज में ही इस मसले का निपटारा करना जारी रखा और आखिर में भारत की ही कूटनीतिक जीत है जो चीन डोकलाम से अपनी सेना हटाने को तैयार हो गया है।

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