scriptअयोध्या केस में नया मोड़: सुन्‍नी वक्‍फ बोर्ड और निर्वाणी अखाड़ा ने सुप्रीम कोर्ट से की मध्यस्थता की गुजारिश | New twist in Ayodhya case Waqf Board requests for mediation from SC | Patrika News

अयोध्या केस में नया मोड़: सुन्‍नी वक्‍फ बोर्ड और निर्वाणी अखाड़ा ने सुप्रीम कोर्ट से की मध्यस्थता की गुजारिश

locationनई दिल्लीPublished: Sep 16, 2019 09:28:38 pm

Submitted by:

Dhirendra

वक्‍फ बोर्ड के वकील ने किया मध्‍यस्‍थता की जानकारी से इनकार
अयोध्‍या विवाद में पक्षकार नहीं है निर्वाणी अखाड़ा
मध्‍यस्‍थता से नहीं निकला था विवाद का हल

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नई दिल्‍ली। अयोध्या विवाद मामले में अचानक एक नया मोड़ आ गया है। दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई भी जारी है। 23 दिन की सुनवाई के बाद एक बार फिर हिंदू और मुस्लिम पक्षकारों ने कोर्ट के बाहर इस मुद्दे को बातचीत के जरिए सुलझाने का संकेत दिया है। इसके लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्वाणी अखाड़ा ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित मध्यस्थता पैनल को पत्र लिखा है। पत्र के जरिए दोनों पक्षकारों ने मध्‍यस्‍थता की मांग की है।
वक्‍फ बोर्ड के वकील ने किया इनकार

रिपोर्ट के मुताबिक मुस्लिम पक्षकारों में से कुछ का मानना है कि राम जन्मभूमि हिंदुओं को देने में कोई हर्ज नहीं है लेकिन इसके बाद हिंदू किसी अन्य मस्जिद या ईदगाह पर दावा नहीं करें। साथ ही एएसआई के कब्जे वाली सारी मस्जिदें नियमित नमाज के लिए खोल दी जाएं।
हालांकि सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील ने इस तरह के किसी भी पत्र से किया इनकार किया है। बोर्ड के वकील ने कहा कि किसी ने निजी स्‍तर पर पत्र भेजा होगा। वकीलों का कहना है एक बार सुनवाई शुरू होने के बाद मध्यस्थता पैनल को भंग कर दिया गया है।
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निर्वाणी अखाड़ा नहीं है पक्षकार

इस मामले में निर्वाणी अखाड़ा का नाम भी मध्यस्थता के लिए सामने आया है हालांकि निर्वाणी अखाड़ा इस मामले में पक्षकार नहीं है। इसके जिम्मे हनुमानगढ़ी मंदिर का प्रभार है। बोर्ड के वकील ने कहा है कि हो सकता है निर्वाणी अखाड़े ने एक अराधक के रूप में एक हस्तक्षेप याचिका दायर की गई हो लेकिन राम जन्मभूमि विवाद में इसे आधिकारिक पक्षकार नहीं माना जा सकता।
वक्‍फ बोर्ड के पत्र में कोई दम नहीं

राम मंदिर विवाद से जुड़े मुस्लिम पक्षकारों का कहना है कि यूपी सुन्नी वक्‍फ बोर्ड 6 मुस्लिम पक्षों में से महज एक पक्ष है। इसने बिना किसी सहमति के पत्र लिखा है। दूसरे मुस्लिम पक्षकारों का कहना है कि एक बार मध्यस्थता की पहल समाप्त हो जाने के बाद किसी को ये अधिकार नही है कि मध्यस्थता फिर से शुरू करने को कहे। ऐसे में सुन्नी वक्फ बोर्ड का नया पत्र आधारहीन है।
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मध्यस्थता से नहीं निकला था हल

बता दें कि रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद का अदालत से बाहर समाधान निकालने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक पैनल बनाया था। इसमें सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्‍यायाधीश एफएम कलीफुल्ला, सीनियर वकील श्रीराम पंचू और अध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर का नाम शामिल था।
इस पैनल ने इस विवाद से जुड़े पक्षकारों से 155 दिनों तक बातकर मामले का समाधान निकालने की कोशिश की लेकिन इसमें कामयाबी नहीं मिली। मध्यस्थता से निपटारे की कोशिश नाकाम होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में मामले की रोजाना सुनवाई शुरू हुई।
मुस्लिम पक्ष की दलील जारी

अब इस मामले में हिंदू पक्ष ने अपनी दलीलें पूरी कर ली है। मुस्लिम पक्ष अपनी दलीलें रख रहा है। पांच जजों की संविधान पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। जस्टिस एसए बोबडे, डीवाई चंद्रचूड, अशोक भूषण और एस अब्दुल नजीर भी शामिल हैं। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई इसके अध्यक्ष हैं।
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