इस दुर्धटना के बाद इस बच्चे ने अपनी उंगलियां खो दी थीं और इसी वजह से वीरेंद्र पेन भी नहीं पकड़ पता था, लेकिन अब अब डॉक्टरों को उम्मीद है कि वे फिर से लिख पाएगा। नेपाल से ताल्लुक रखने वाला वीरेंद्र अपने परिवार के साथ दिल्ली के छतरपुर में रहता था। 2014 में वीरेंद्र को करंट लगने के कारण बुरी तरह जल गए थे। अस्पताल में इलाज के दौरान इंफेक्शन होने के कारण वीरेंद्र के दोनों हाथ काटने पडे थे। डॉक्टरों के अनुसार वीरेंद्र का बायां हाथ पूरी तरह से कट गया था। वहीं दाएं हाथ में सिर्फ अंगूठे की हड्डी बची थी। सफदरजंग के प्लास्टिक सर्जन डॉक्टर राकेश ने बताया कि इस सर्जरी में बड़ी चुनौती है।
जहां से उंगली निकाली जा रही है, वहां से ब्लड वेसेल्स के साथ नर्व भी निकालना पड़ता है। इन्हें नई जगह पर ट्रांसप्लांट किया जाता है। नर्व को निकालना और फिर जोड़ना बेहद चुनौतीपूर्ण होता है। यहां के डॉक्टरों ने बता कि ऐसी सर्जरी अस्पताल में पहली बार की गई है। सफदरजंग अस्पताल के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रोफेसर डॉ. राकेश केन बताते हैं कि वीरेंद्र के बाएं पैर से अंगूठा और दो उंगलियां निकालकर दाएं हाथ में लगा दी गई थी। बेहद मुश्किल इस सर्जरी में करीब दस घंटे लगे।