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निर्भया केसः सुप्रीम कोर्ट ने मंजूर की मुकेश की अर्जी, 1 फरवरी को होनी है फांसी

locationनई दिल्लीPublished: Jan 27, 2020 05:22:40 pm

Nirbhaya Case सुुप्रीम कोर्ट ने मंजूर की मुकेश की अर्जी
मुकेश ने दया याचिका खारिज होने पर जल्द सुनवाई की मांग की
कोर्ट ने वकील से रजिस्ट्री के साथ संपर्क करने को कहा

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निर्भया गैंगरेप में दोषी मुकेश

नई दिल्ली। निर्भया गैंगरेप केस ( Nirbhaya Gangrape Case ) में बड़ी खबर सामने आ रही है। चारों दोषियों में शामिल मुकेश सिंह ने अपनी दया याचिका खारिज होने पर एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) में जल्द सुनवाई की मांग की है।
वहीं निर्भया केस पर सुप्रीम कोर्ट ने भी मुकेश के वकील से तुरंत रजिस्ट्री के साथ संपर्क करने को कहा है। दरअसल सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने मुकेश की मांग पर उनके वकील से संपर्क के लिए कहा। साथ ही ये भी कहा कि अगर 1 फरवरी को अगर किसी को फांसी दी जा रही है तो मामला पहली प्राथमिकता में होना चाहिे।
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आपको बता दें कि मुकेश ने पटियाला हाउस कोर्ट से डेथ वारंट जारी होने के बाद दिल्ली हाईकोर्ट और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास दया याचिका दायर की थी। इस याचिका को राष्ट्रपति ने 17 जनवरी को खारिज कर दिया था।
मुकेश ने शनिवार को दया याचिका खारिज होने की न्यायायिक समीक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को वकील को संपर्क करने के लिए कहा है। लेकिन साथ रजिस्ट्री भी मंगवाई है।

दोषी मुकेश की वकील वृंदा ग्रोवर ने बताया था कि शत्रुघ्न चौहान केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर हमने अनुच्छेद 32 के तहत कोर्ट से दया याचिका के मामले में न्यायिक समीक्षा की मांग की है।
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फांसी में हो सकती है और देरी, बाकी हैं विकल्प
निर्भया के चार दोषियों में से तीन दोषी पवन, मुकेश, अक्षय और विनय शर्मा की फांसी के लिए दूसरी बार डेथ वॉरंट जारी हो चुका है। इसमें फांसी की तारीख 1 फरवरी तय की गई है।
दोषी पवन के पास अभी क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका का विकल्प है। यही विकल्प अक्षय सिंह के पास हैं। विनय शर्मा के पास भी दया याचिका का विकल्प है।

यानी तीन दोषी अभी 5 कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल कर सकते हैं।
फांसी में एक और केस अड़चन डाल रहा है। वह है सभी दोषियों के खिलाफ लूट और अपहरण का केस। दोषियों के वकील एपी सिंह का कहना है कि पवन, मुकेश, अक्षय और विनय को लूट के एक मामले में निचली अदालत ने 10 साल की सजा सुनाई थी।
इस फैसले के खिलाफ अपील हाईकोर्ट में लंबित है। जब तक इस पर फैसला नहीं होता जाता, दोषियों को फांसी नहीं दी जा सकती।

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