बिहार के लिए ये 10 साल पुरानी मांग
उन्होंने कहा कि आज भले ही आंध्र प्रदेश के लिए ये नई मांग हो, लेकिन बिहार के लिए 10 साल पुरानी मांग है। उन्होंने बिना किसी दल का नाम लिए हुए कहा कि भ्रष्टाचार और समाज को तोड़ने व विभाजित करने वाली नीति से वह समझौता नहीं कर सकते। आज ऐसे लोग भी बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं, जो कभी इसकी चर्चा भी नहीं करते थे।
नीतीश कुमार ने स्पष्ट कहा, “मैं वोट की नहीं लोगों की चिंता करता हूं। मैं प्रारंभ से ही सामाजिक सद्भाव का पक्षधर रहा हूं। मेरे 12 साल के काम इसका प्रमाण हैं।” मुख्यमंत्री ने दावा करते हुए कहा कि हम लोगों ने 12 सालों में अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए जो काम किए हैं, इससे पहले यहां कभी नहीं हुए थे।
दिल्ली में अधिकार रैली भी कर चुके हैं नीतीश
गौरतलब है कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने को लेकर नीतीश कुमार काफी पहले से मांग कर रहे हैं। ताकि राज्य में औद्योगिक निवेश के रास्ते खुल सकें और सरकार उद्योगपतियों को कर रियायत दे सके। साल 2013 में इसी मांग को लेकर नीतीश कुमार ने नई दिल्ली में अधिकार रैली का आयोजन किया था और कहा था कि जो भी पार्टी या गठबंधन की सरकार बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देगी उनकी पार्टी लोकसभा चुनावों में उसका साथ देगी। उस दौरान केंद्र में यूपीए की सरकार थी। यूपीए सरकार ने उनकी मांग पूरी नहीं की थी। इसके बाद नीतीश कुमार ने 2014 का लोकसभा चुनाव अकेले लड़ा था।
बाद में 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश की जेडीयू और लालू यादव की आरजेडी ने कांग्रेस के साथ मिलकर महागठबंधन बनाया था। लेकिन महागठबंधन की सरकार ज्यादा समय तक नहीं चल सकी। पिछले साल नीतीश कुमार महागठबंधन से अलग होकर एनडीए में शामिल हो गए थे। अब जब केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और बीजेपी लोकसभा उप चुनावों में हार के बाद परेशान है, तब टीडीपी का एनडीए से अलग होना और फिर से जेडीयू द्वारा विशेष राज्य की मांग उसे और परेशान कर रही है।