इस वायरस का सबसे ज्यादा आतंक महाराष्ट्र और दिल्ली में जारी है। अकेले महाराष्ट्र ( Maharashtra ) में 4600 से ज्यादा लोग कोरोना संक्रमित हो चुके हैं, जबकि 232 लोगों की मौत हो गई है। आलम ये है कि राज्य की अर्थव्यवस्था लगातार बिगड़ती जा रही है। इसी बीच खबर ये आ रही है कि अगले कुछ महीने महाराष्ट्र में कोई नई विकास योजनाओं पर काम नहीं होगा।
दरअसल, कोरोना संकट को लेकर जारी लॉकडाउन ( Lockdown ) में राज्य को काफी नुकसान हुआ है। आलम ये है कि राज्य की इनकम पूरी तरह रुक गई है। इतना ही नहीं खर्च में भारी कटौती की घोषणा की गई है और खर्च के क्षेत्रों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। गौरतलब है कि लॉकडाउन पार्ट-1 में महाराष्ट्र को तकरीबन 42 हजार करोड़ का नुकसान हुआ है।
राज्य सरकार ने पूंजीगत परियोजनाओं में सार्वजनिक क्षेत्र के निवेश पर ब्रेक लगा दिया है। वहीं, पिछले हफ्ते वित्त विभाग ने घाटे का हवाला देते हुए सभी विभागों को पत्र लिखकर नई विकास परियोजनाओं के लिए खर्च योजना बनाने पर रोक लगा दी है।
राज्य सरकार की माली हालत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वित्त मंत्री अजित पवार ने मंत्रियों और विधायकों की सैलरी में तीस फीसदी की कटौती कर दी है। इतना सरकारी अधिकारी की भी सैलरी काट दी गई है। इतना ही नहीं सरकार ने नए आदेश में सभी विभागों को अब अप्रैल-जून की तिमाही में बजट अनुमानों का केवल 25 प्रतिशत ही खर्च करने के लिए कहा है।
इनमें वेतन, पेंशन, किराए और करों, भोजन भत्ते सहित प्रतिबद्ध गैर-विकासात्मक देनदारियों पर खर्च को प्राथमिकता दी गई है। एक अधिकारी के मुताबिक, अन्य कार्यों पर खर्च के लिए वित्त विभाग की पूर्व सहमति की आवश्यकता होगी। यहां आपको बता दें कि इस संकट से बाहर आने के लिए केन्द्र से महाराष्ट्र को 25 हजार करोड़ रुपए मिलने के संकेत दिए गए हैं।
यहां आपको बता दें कि 2020-21 के अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री पवार ने कहा था कि महाराष्ट्र का कुल ऋण मार्च 2021 तक 5.20 लाख करोड़ रुपए को पार कर जाएगा। उन्होंने कहा था कि राजकोषीय प्रबंधकों को आने वाले समय में सही होने की उम्मीद नहीं। उन्होंने साफ कहा था कि यह ऋण संख्या और अधिक खराब हो सकती है। अब देखना यह है कि इस संकट से महाराष्ट्र किस तरह उबरता है।