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सिनेमा देखने का मजा नहीं होगा किरकिरा, अब मल्‍टीप्‍लेक्‍स में खाने-पीने का सामान मिलेगा वाजिब कीमत पर

बंबई उच्च न्यायालय ने मल्टीप्लेक्सों के भीतर खाने-पाने की चीजों की कीमत को लेकर नया फरमान जारी किया है।

नई दिल्लीApr 04, 2018 / 09:11 pm

Mazkoor

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नई दिल्ली : सिनेमा हॉल में नई पिक्‍चर देखने का आनंद तभी है, जब साथ में स्‍नैक्‍स का मजा भी उठाया जाए। लेकिन मल्‍टीप्‍लेक्‍स के दौर में सिनेमाहॉल के भीतर खने पीने की चीजें काफी महंगी मिलती है और मल्‍टीप्‍लेक्‍स वाले बाहर की खाने पीने की चीज को भीतर ले जाने नहीं देते हैं। इस वजह से कई लोग स्‍नैक्‍स का आनंद नहीं उठा पाते हैं। इसी को लेकर मुंबई निवासी जैनेंद्र बक्शी ने मुंबई हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी। उन्‍होंने महाराष्ट्र के सिनेमाघरों और मल्टीप्लेक्सों के भीतर बाहर से लाई गई खाने-पीने की चीजों पर पाबंदी लगा रखी है।

सामान्‍य कीमत पर बेचे जाएं खाने-पीने के सामान
इस पर सुनवाई करते हुए बंबई उच्च न्यायालय ने मल्टीप्लेक्सों के भीतर खाने-पाने की चीजों की कीमत को लेकर नया फरमान जारी किया है। न्यायालय ने कहा कि मल्टीप्लेक्सों के अंदर खाने-पीने की चीजों को सामान्य कीमत पर बेचा जाना चाहिए। इस पर महाराष्ट्र सरकार ने भी न्यायालय में अपना जवाब दाखिल कर बताया कि वह जल्द ही इस मुद्दे पर एक नियम बनाएगी। इस जनहित याचिका की सुनवाई बंबई उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एसएम केमकर और न्यायमूर्ति एमएस कार्णिक की खंडपीठ कर रही है। पीठ इस मामले की अगली सुनवाई 12 जून को करेगी।

कोई कानून नहीं ऐसा, जो बाहर की खाने-पीने की चीज को सिनेमाहॉल में ले जाने से रोके
बक्शी के वकील आदित्य प्रताप सिंह ने अदालत को बताया कि ऐसा कोई कानूनी प्रावधान नहीं है, जो किसी व्यक्ति को सिनेमाघरों के भीतर खाने-पीने का निजी सामान ले जाने से रोके। उन्‍होंने यह भी कहा कि मल्टीप्लेक्सों के भीतर खाने-पीने की चीजें बिकती तो हैं, मगर उनकी कीमतें बहुत ज्यादा होती हैं। इस पर सहमति जताते हुए न्यायमूर्ति केमकर ने कहा कि सिनेमाघरों के भीतर बिकने वाले खाने के सामान और पानी की बोतलें वास्तव में बहुत ज्यादा कीमत की होती है। यह बात खुद उन्‍होंने महसूस की है। मल्टीप्लेक्सों को इन्हें सामान्य कीमतों पर बेचना चाहिए। न्यायालय ने कहा कि यदि मल्टीप्लेक्सों में लोगों को बाहर से लाई गई खाने-पीने की चीजें अंदर नहीं ले जाने दिया जाता तो वहां खाने-पीने के सामान पर पूरी तरह से मनाही होनी चाहिए।

मल्‍टीप्‍लेक्‍स के अपने वेंडर नहीं होने चाहिए
न्यायमूर्ति केमकर ने यह भी कहा कि अगर ऐसा है तो फिर मल्टीप्लेक्सों के अपने वेंडर भी नहीं होने चाहिए जो भीतर खाने-पीने की चीजें बेचते हैं।

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