संपत्ति पर केवल माता-पिता का अधिकार है
आपको बता दें कि एक महिला ने जिलाधिकारी की ओर से ससुर का घर खाली करने के आदेश के खिलाफ अदालत में यह अपील दायर की थी। डबल बेंच की अदलात ने इसपर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया है। इससे एकल पीठ ने भी यही आदेश दिया था। बता दें कि इस मामले की सुनवाई दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन और जस्टिस वी. कामेश्वर राव की पीठ ने की है। अपने फैसले में दोनों जजों ने कहा है कि ऐसी कोई भी चल या अचल, मूर्त या अमूर्त या ऐसी किसी भी संपत्ति जिसमें सास-ससुर का हित जुड़ा हुआ हो, उस पर बहू का कोई अधिकार नहीं हो सकता है। यह बात मायने नहीं रखती है कि संपत्ति पर सास-ससुर का मालिकाना हक कैसा है। आगे कोर्ट ने कहा कि माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों की देखरेख व कल्याण के लिए बने नियमों को ध्यान में रखते हुए वरिष्ठ नागरिकों को अपने घर में शांति से रहने का अधिकार है। इसके अलावे सास-ससुर को अपने घर या संपत्ति से बेटे-बेटी या कानूनी वारिस ही नहीं, बल्कि बहू को भी बेदखल करने का अधिकार है।
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कोर्ट में महिला की दलील
आपको बता दें कि महिला ने अपने पक्ष में दलील देते हुए अदालत से कहा कि उसके ससुर सिर्फ अपने बेटे-बेटी व कानूनी वारिस से ही घर खाली करा सकते हैं। इसके अलावे उन्होंने अपने ससुर स गुजाराभत्ता भी नहीं मांगा है। इसलिए उन्हें घर से नहीं निकाला जा सकता है। बता दें कि महिला ने अपने पति और ससुर के खिलाफ दहेज उत्पीड़न व अन्य आरोपों के तहत मुकदमा दर्ज कराया है। इसके अलावे उसके पति से तलाक का भी मुकदमा चल रहा है। इधर महिला के ससुर ने कहा है कि उनकी बहू से उनका घर खाली करवाया जाए।