scriptनोटबंदीः टीएस ठाकुर ने कहा, कोर्ट को मछली बाजार बना दिया  | Note Ban: CJI TS Thakur says lawyers are ruining court's image | Patrika News

नोटबंदीः टीएस ठाकुर ने कहा, कोर्ट को मछली बाजार बना दिया 

Published: Dec 10, 2016 08:53:00 am

Submitted by:

Rakesh Mishra

नोटबंदी की संवैधानिकता पर सुनवाई, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछे तीखे सवाल, हालात कब होंगे सामान्य? हफ्ते में बैंक क्यों नहीं दे रहे 24,000

CJI TS Thakur

CJI TS Thakur

पत्रिका न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली। नोटबंदी पर आम आदमी को हो रही परेशानी पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने शुक्रवार को नोटबंदी की संवैधानिकता पर सुनवाई के दौरान सरकार से कई तीखे सवाल किए।शीर्ष अदालत ने कड़े लहजे में सरकार से पूछा कि आखिर हालात सामान्य होने में कितना वक्त लगेगा? कोर्ट ने यह भी कहा कि कहीं नोटबंदी समानता और स्वतंत्रता जैसे मौलिक अधिकारों का हनन तो नहीं। कोर्ट ने पूछा कि आखिर बैंक हर हफ्ते 24 हजार नकद क्यों नहीं दे पा रहे हैं। 

कोर्ट ने कड़े तेवर में सवाल किया कि क्या बैंक से पैसे निकासी की ऐसी कोई न्यूनतम सीमा कोर्ट तय करे? जो पूरे देश में बिना किसी भेदभाव के लागू हो। ऐसी लिमिट तय की जाए, ताकि बैंक इनकार न कर सकें। साथ ही जिला सहकारी बैंकों को पैसे जमा करने और निकासी का हक मिले। तीन जजों की पीठ की अगुवाई कर रहे मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने सरकार से यह भी पूछा कि जब आपने यह पॉलिसी बनाई तो यह गोपनीय थी लेकिन अब आप हमें बता सकते हैं कि नकदी की उपलब्धता में और कितना वक्त लगेगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि जरूरत पड़ी तो इसके लिए पांच जजों की संविधान पीठ का गठन किया जा सकता है। मामले की अगली सुनवाई अब 14 दिसंबर को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को यह भी कहा कि आप अगले हफ्ते तक सभी सवालों के जवाब लेकर आएं। तीन सदस्यीय पीठ में जस्टिस ठाकुर के अलावा जस्टिस एम कानविल्कर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ भी हैं। 

‘कोर्ट को मछली बाजार बना दिया’
सु नवाई के दौरान कुछ वकीलों द्वारा जोर-जोर से बहस करने और चिल्लाने से खफा मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने कहा कि कोर्ट को मछली बाजार बना दिया है। 23 साल में कभी ऐसा माहौल नहीं देखा। गंभीर मसले पर इस तरह का आचरण नहीं देखा।

24 हजार प्रति सप्ताह क्यों नहीं दिए जा रहे? 
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ग्राहकों को प्रति सप्ताह 24 हजार रुपए क्यों नहीं दिए जा रहे? यदि सरकार ने यह सीमा निर्धारित की है तो बैंक इसे नकार नहीं सकते। इस पर अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि यह बचत खातों से पैसा निकालने की उच्चतम सीमा है। इस पर मुख्य न्यायाधीश प्रश्न किया कि क्यों नहीं न्यूनतम सीमा (जैसे 10 हजार रुपए) तय की जाए। इस पर अटॉर्नी जनरल ने कहा कि न्यूनतम सीमा के मुद्दे पर सरकार से निर्देश लेंगे। 

चिदंबरम: रुपयों की निकासी की सीमा खत्म हो
-वरिष्ठ वकील पी चिदंबरम ने कहा कि रुपयों की निकासी की सीमा खत्म होनी चाहिए। 
-अटार्नी जनरल ने कहा कि परिवार का हर सदस्य एक सप्ताह में चौबीस हजार रुपये निकाल सकता है। 
-चिदंबरम ने कहा कि हर परिवार में पांच बैंक खाते नहीं हैं। कई परिवारों में एक ही बैंक खाता हो सकता है और उस परिवार का दिल्ली में दो हजार रुपये में गुजारा नहीं हो सकता है।

प्रशांतभूषण: नोटों की कमी से परेशान हो रहे लोग
एक याचिकाकर्ता की ओर से प्रशांत भूषण ने कहा कि एटीएम रिकैलीब्रेट नहीं हुए हैं । लोग नोटों की कमी की वजह से परेशान हो रहे हैं। उन्होंने कोऑपरेटिव सोसायटी को हो रही परेशानियों को कम करने के लिए दिशानिर्देश देने का आग्रह किया। लेकिन केंद्र ने उनकी मांग खारिज करते हुए कहा कि कोऑपरेटिव सोसायटी को पुराने नोट लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती है ।

मौतें राजनीति से प्रेरित: रोहतगी
बैंकों और एटीएम में लाइन में लगने से हुई मौतों पर अटार्नी जनरल ने कहा कि पैसे नहीं होने की वजह से ये मौतें नहीं हुई हैं ये केवल राजनीति है। आप एटीएम के बाहर जाकर देखिए, कोई लाइन नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट के ये 9 सवाल…
नोटबंदी का फैसला आरबीआई की धारा 26(2) का उल्लंघन है? 
8 नवंबर और उसके बाद के नोटिफिकेशन असंवैधानिक है?
नोटबंदी समानता के हक और व्यवसाय करने की आजादी जैसे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है?
नोटबंदी के फैसले को बिना तैयारी के साथ लागू किया ?
पैसा निकालने की सीमा तय लोगों के अधिकारों का हनन है ?
जिला सहकारी बैंकों में पुराने नोट जमा करने और नए रुपए निकालने पर रोक सही नहीं है?
कोई राजनीतिक पार्टी जनहित याचिका दाखिल कर सकती है ?
सरकारी अस्पतालों में पुराने नोटों की सीमा बढ़ाई जा सकती है ?
बैंक से पैसे निकासी की न्यूनतम सीमा कोर्ट तय करे जो पूरे देश में लागू हो और भेदभाव ना रहे?

10-15 दिन में हालात सामान्य
पीएम ने 31 दिसंबर तक हालात सामान्य होना कहा था, जिसमें अभी वक्त है। सरकार हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठी है। 10-15 दिनों में हालात और सामान्य हो जाएंगे।
मुकुल रोहतगी, अटॉर्नी जनरल
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