अब ट्रेन का टिकट बताएगा, आप पर कितना खर्चा करता है रेलवे
Published: Jun 23, 2016 11:05:00 am
सरकार पहली बार यात्रियों को उनके टिकटों पर यह लिख कर बता रही है कि वे लागत मूल्य से करीब आधे खर्च पर यात्रा कर रहे हैं
नई दिल्ली। भारतीय रेलवे के इतिहास में अब सरकार पहली बार यात्रियों को उनके टिकटों पर यह लिख कर बता रही है कि वे लागत मूल्य से करीब आधे खर्च पर यात्रा कर रहे हैं। अगर आपका रेल टिकट 57 रुपए का है तो आपकी यात्रा का वास्तविक खर्च सौ रुपए है। इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ जब टिकटों पर यात्रा का लागत मूल्य और किराया लिख कर यह बताने की कोशिश की गई हो। हालांकि कुछ यात्रियों को अपने स्वाभिमान पर चोट की तरह से अनुभव हो रहा है।
रेलवे ने अपने सभी आरक्षित एवं अनारक्षित टिकटों पर एक पंक्ति लिखना शुरु की है “IR RECOVERS ONLY 57% OF THE COST OF TRAVEL ON AN AVERAGE” जबकि सबअर्बन रेलवे के टिकटों पर “IR RECOVERS ONLY 36% OF THE COST OF TRAVEL ON AN AVERAGE” को लिखा जा रहा है। ये पंक्ति पिछले सप्ताह से सभी प्रकार के टिकटों में अंकित की जा रही है। रेलवे बोर्ड के प्रवक्ता अनिल सक्सेना ने इस बारे में पूछने पर बताया कि इस कदम के माध्यम से रेलवे यात्रियों को इस बारे में जागरुक करना चाहती है कि उनसे लिया जा रहा किराया लागत से बहुत कम है और किराए के अनुपात में उन्हें अधिकतम सुविधाएं देने के प्रयास किए जा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाल ही में कहा है कि गैस सब्सिडी को छोडने की अपील का जिस प्रकार से जनता ने स्वागत किया और सकारात्मक उत्तर दिया है। वैसे ही अब रेल यात्रियों को भी स्वेच्छा से रियायतों को छोडऩे के लिये कहा जाना चाहिए। रेलवे बोर्ड के इस कदम को रियायतों को घटाने और यात्री किरायों में वृद्धि किए जाने के संकेतों के रूप में देखा जा रहा है। पर यात्रियों में इस कदम को लेकर नाराजगी है और उन्हें टिकटों पर लिखी यह पंक्ति अपमानजनक लग रही है। उन्हें लग रहा है कि रेलवे उन पर अहसान जताने की कोशिश कर रही है।
ट्रेन से नई दिल्ली से गाजियाबाद जाने वाले अरविन्द कुमार का मानना है कि वह रेलवे द्वारा निर्धारित पूरा किराया देकर टिकट खरीदते हैं और यात्रा करते हैं। पहला रेलवे की लागत निकल पा रही है या नहीं, यह उसका आंतरिक एवं प्रबंधन दक्षता से जुड़ा विषय है। दूसरा, वह जो किराया अदा करते हैं, उसे रेलवे ने ही तय किया है। उसमें यात्रियों की कोई भूमिका नहीं है। तो फिर यात्रियों पर अहसान क्यों जताया जा रहा है।
नई दिल्ली से गोरखपुर जाने वाले ईश्वरदीन चौधरी ने कहा कि यह सब लोग समझते हैं कि महंगाई के जमाने में भी रेल किराया बहुत अधिक नहीं है। लेकिन इस प्रकार से यात्रियों को उंगली दिखाना ठीक नहीं है। ऐसा लग रहा है कि इसमें यात्रियों का दोष है। अगर रेलवे ऐसा कहती है तो उसे भी बहुत से सवालों का जवाब देना होगा। यात्रियों का कहना है कि जबकि रेलवे में प्रबंधन दक्षता को ठीक करके लागत घटाई जा सकती है। समय बेसमय किराए भाड़े बढ़ते ही हैं, पर रेलवे एक जन कल्याणकारी परिवहन का साधन है। उसे ऐसा ही रहना चाहिए। यात्रियों की मूल आवश्यकताएं साफ सफाई, सुरक्षा एवं समयबद्धता ही है। स्टेशन पुनर्विकास, बुलेट ट्रेन आदि के विचार भारत के गरीब एवं साधारण यात्रियों के अनुकूल नहीं है।