रिसर्च से पता चला कि पिछले 16 सालों में कुल पद्मश्री विजेताओं के एक तिहाई विजेता दिल्ली और महाराष्ट्र से हैं
नई दिल्ली। पद्मश्री विजेताओं की लिस्ट को लेकर की गई एक रिसर्च में यह तथ्य सामने आया है कि चुनावी साल में दिए जाने वाले पद्मश्री अवॉर्ड बाकी चार सालों में दिए जाने वाले पद्मश्री अवॉर्ड्स से 30 फीसदी ज्यादा होते हैं। यह रिसर्च पिछले 16 साल के पद्मश्री आंकड़ों को लेकर की गई थी। साथ ही इस रिसर्च से यह भी पता चला है कि पिछले 16 सालों में कुल पद्मश्री विजेताओं के एक तिहाई विजेता दिल्ली और महाराष्ट्र से हैं।
बिहार सबसे पीछे
63 फीसदी चुनावी सालों वाले 7 राज्यों में पद्म विजेताओं की कुल संख्या में 30 फीसदी का उछाल देखने को मिला। जबकि इस दौरान बिहार से सिर्फ 20 लोगों को पद्मश्री मिला, जो कि कुल अवॉर्ड्स का दो फीसदी से भी कम है।
दिल्ली और महाराष्ट्र सबसे आगे
औसत निकालें तो दिल्ली और महाराष्ट्र ने बाकी राज्यों की तुलना में ज्यादा अवॉर्ड्स पर अपना कब्जा जमाया। कुल 1200 पद्मश्री अवॉर्ड्स में से इन दोनों राज्यों ने लगभग एक तिहाई पर अपना कब्जा जमाया। अगर इसमें इनके साथ तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक को भी जोड़ दें तो यह संख्या कुल अवॉर्ड्स की आधी से भी ज्याद हो जाती है।
अवॉर्ड से नहीं पड़ता चुनाव नतीजों पर फर्क
हालांकि रिसर्च टीम के सदस्य राकेश दुब्बुदू का मानना है कि इसका चुनावों में किसी पार्टी के प्रदर्शन का कम ही प्रभाव पड़ता है। राकेश के मुताबिक चुनाव में किसी पार्टी के प्रदर्शन और किसी खास राज्य के अवॉर्डी लोगों बीच कोई सीधा लिंक नहीं दिखता। हालांकि इससे बड़े राजनैतिक रसूख का पता जरूर चलता है क्योंकि इस अवॉर्ड्स को जीतने में केंद्र का अहम रोल होता है।