ओडिशा सीएमओ में शीर्ष अधिकारी हैं, सीएम के मुख्य सलाहकार आर बालाकृष्णन, जो 2018 में अतिरिक्त मुख्य सचिव के पद से रिटायर हो गए थे। वहीं, महाराष्ट्र में, बतौर मुख्य सचिव दो बार सेवा में विस्तार के बाद, अजय मेहता को इस साल सीएम का प्रमुख सलाहकार नियुक्त कर दिया गया। गुजरात में 1979 बैच के आइएएस अधिकारी के कैलाशनाथन, 2013 से सीएम के प्रमुख सचिव बने हुए हैं। वे अतिरिक्त मुख्य सचिव के पद से रिटायर हुए थे। मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव की भूमिका में उन्हें तीन मुख्यमंत्रियों नरेन्द्र मोदी, आनंदी बेन पटेल और विजय रूपाणी के कार्यकाल में छह एक्सटेंशंस मिल चुके हैं। 2019 में आखऱिकार उनके कार्यकाल को, सीएम के साथ सह-समापित होने वाला कर दिया गया। उन्हें गुजरात में ‘मोदी के आदमी’ के रूप में देखा जाता है, और राजनीतिक नेतृत्व, और नौकरशाही के बीच कड़ी का काम करते हैं। बिहार में भी, 2018 में नीतीश कुमार सरकार ने 1981 बैच के आइएएस अधिकारी अंजनी कुमार सिंह को, बतौर मुख्य सचिव रिटायर होने के अगले ही दिन, सीएम का सलाहकार नियुक्त कर दिया था।
डीओपीटी नियमों के मुताबिक़, सामान्य रूप से, सेवानिवृत्ति की आयु के बाद, सेवा के विस्तार या पुन: रोजगार के किसी प्रस्ताव पर, विचार नहीं किया जाना चाहिए। इसके अलावा नियमों में ये भी कहा गया है, कि सेवा में विस्तार या पुन: रोजगार के प्रस्ताव का औचित्य, दुर्लभ अथवा असाधारण परिस्थियों में ही ठहराया जा सकता है। एक्सटेंशंस तभी दिए जा सकते हैं, जब दूसरे अधिकारी उस काम के लिए ‘पूरी तरह तैयार न हों’, या फिर विचाराधीन अधिकारी ‘असाधारण गुण’ रखता हो। रिटायर हो रहे किसी अधिकारी को, विस्तार देने या सरकारी सेवा में फिर से लेने के लिए, इन दोनों शर्तों का पर्याप्त रूप से स्थापित होना आवश्यक है। हालांकि मुख्यमंत्रियों को ऐसे सलाहकारों को नियुक्त करने का विशेषाधिकार है, जिन पर वो पूरा भरोसा करते हों।
कई सिविल सर्वेंट्स और राजनीतिज्ञ इस रुझान को ‘ख़तरनाक’ कऱार देते हैं, जो सक्रिय सिविल सर्वेंट्स की भूमिका को कमज़ोर करता है। उनका ये भी कहना है कि रिटायरमेंट के बाद सिविल सर्वेंट्स की ऐसी नियुक्तियों से, शक्तियां अकसर सीएमओ में केंद्रित हो जाती हैं। दूसरी ओर लोग कुछ इस रुझान को ये कहते हुए उचित ठहराते हैं, कि मुख्यमंत्रियों को ऐसे सलाहकार नियुक्त करने का विशेषाधिकार है, जो उनके भरोसेमंद हों।
पीके मिश्रा- प्रिसिंपल सेक्रेटरी टू पीएम
पीके सिन्हा- प्रिसिपल एडवाइजर टू पीएम
अमिताभ कांत- सीईओ, नीति आयोग
अमरजीत सिन्हा- एडवाइजर, पीएम
भास्कर कुल्बे- एडवाइजर, पीएम
अजीत डोवाल- एनएसए राज्य में ताकतवर रिटायर अफसर
राजस्थान
राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त— देवेन्द्र भूषण गुप्ता
मुख्यमंत्री के सलाहकार— गोविन्द शर्मा
मुख्यमंत्री के सलाहकार व मुख्यमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद के उपाध्यक्ष— अरविन्द मायाराम
राज्य निर्वाचन आयोग में आयुक्त (संवैधानिक पद) — प्रेम सिंह मेहरा
राजस्थान लोक सेवा आयोग अध्यक्ष — भूपेन्द्र सिंह यादव, पूर्व आइपीएस
– नवा रायपुर अटल विकास प्राधिकारण चेयरमैंन — आरपी मंडल
— राज्य निर्वाचन आयोग आयुक्त —ठाकुर राम सिंह
— प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा— सेवानिवृत्त डॉ. आलोक शुक्ला
— राज्य सूचना आयुक्त — एमके राउत
— राज्य सहकारी निर्वाचन आयोग— एमके कुजूर
— रेरा चेयरमैन — विवेक ढांढ
— एम गोपाल रेडडी, रिटायर मुख्य सचिव, वर्तमान में तेलंगाना मुख्यमंत्री के ओएसडी हैं।
— बी पी सिंह, रिटायर मुख्य सचिव, वर्तमान में राज्य निर्वाचन आयुक्त हैं।
— एसपीएस परिहार, रिटायर एसीएस, वर्तमान में मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष हैं।