विविध भारत

युवाओं को शांति व अहिंसा में प्रशिक्षित करना जरूरी: ओम बिरला

राजस्थान पत्रिका के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी बोले- हमारा असंतोष ही जीवन में हिंसा का कारण है।
आचार्य महाप्रज्ञ की जन्म शताब्दी के मौके पर अणुव्रत विश्व भारती की ओर से शांति और अहिंसा के मुद्दे पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन।

 

नई दिल्लीDec 18, 2019 / 12:30 am

अमित कुमार बाजपेयी

दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ करते लोकसभा स्पीकर ओम बिरला।

नई दिल्ली। आचार्य महाप्रज्ञ की जन्म शताब्दी के मौके पर अणुव्रत विश्व भारती की ओर से शांति और अहिंसा के मुद्दे पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि बच्चों और युवाओं को शांति और अहिंसा में सिर्फ शिक्षित ही नहीं बल्कि प्रशिक्षित करना जरूरी है। इसी के माध्यम से विश्व शांति कायम हो सकती है।
सम्मेलन में राजस्थान पत्रिका के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी ने कहा कि धन जिंदगी का सिर्फ छोटा सा अंश है। हमें जीवन में जो मिलता है, हम कभी संतुष्ट नहीं होते। हम जिंदगी में अधिक से अधिक हासिल करना चाहते हैं और जीवन में हिंसा का यही कारण बनता हैै।
मंगलवार को शुरू हुए इस सम्मेलन का उद्देश्य आचार्य महाप्रज्ञ के अहिंसा प्रशिक्षण की विरासत को आगेे बढ़ाना है। इस दौरान खासतौर से इस बात पर मंथन किया जा रहा है कि बच्चों को किस तरीके से अहिंसा के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया जाए। गुलाब कोठारी इस चार दिवसीय सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे हैं। शांति और अहिंसा में विश्वास करने वाले 15 देशों के 120 से ज्यादा बुद्धिजीवी भी इसमें शामिल हो रहे हैं। इस सम्मेलन के आठ मुख्य सत्रों में कई कार्यशालाओं का भी आयोजन किया जाएगा।
सम्मेलन के मुख्य अतिथि ओम बिरला ने कहा कि हम आचार्य महाप्रज्ञ और महात्मा गांधी की जन्‍मशताब्दी मना रहे हैं। आचार्य जी ने इस दुनिया को अंहिसा और सत्य के रास्ते में लाने के लिए लंबे समय तक काम किया। वहीं महात्मा गांधी ने देश में अहिंसा और सत्य के रास्ते पर चलकर आंदोलन के जरिए दुनिया को शिक्षा दी कि अशांत विश्व के अंदर शांति और अहिंसा से भी दुनिया को जीता जा सकता है।
उन्होंने कहा कि आज हमारा एक ही मकसद है कि हम किस तरीके से मानव जाति पर हिंसा समाप्त करें और किस तरह दुनिया में शांति कायम करें। आचार्य जी का सपना था कि लोग शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से शक्तिशाली हों और शक्तिशाली होने के लिए व्यक्ति को खुद अहिंसक होने का व्रत रखना पड़ता है। समाज और विश्व को बनाना है तो अहिंसा के रास्ते जाना होगा।
बिरला ने कहा कि भगवान महावीर और गौतम बुद्ध के विचारों से आज भी विश्व में शांति स्थापित की जा सकती है। उन्होंने कहा कि वह जापान गए थे जहां जापान ने एक समय में युद्ध लड़े लेकिन अब वह बुद्ध के विचारों के कारण एक शांत देश है और अहिंसा के मार्ग पर चलने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के साथ ही सांस्कृतिक असंतुलन भी पैदा हो रहा है। यह भी हिंसा के कारण हो सकते हैं। उम्मीद है कि चिंतक अहिंसा के कारण का पता लगाएंगे। बिरला ने कहा कि गुलाब कोठारी जी ने पत्रकारिता जगत में अपनी लेखनी के माध्यम से राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लेखक, संपादक और संवाददाता के रूप में समाज को नई दिशा दी है।
इस अवसर पर गुलाब कोठारी ने कहा, ‘सबसे पहले जानना जरूरी है कि मैं कौन हूं। अगर मैं खुद को जानूंगा, तो ही मैं सबको जानूंगा। खुद को नहीं जानूंगा तो किसी को जान नहीं पाऊंगा। अगर जीवन में यह रूख रहेगा कि मैं सिर्फ अपने आप के लिए जी रहा हूं तो हमेशा हमारे सामने हिंसा का संसार रहेगा। लेकिन जब हम दुनिया, समाज और देश के लिए जीते हैं तो समस्या पैदा ही नहीं होती।’
उन्होंने पेड़ से सीखने के लिए एक उदाहरण देते हुए कहा कि एक बीज का सपना पेड़ बनने का होता है और वह पेड़ बनकर लोगों के लिए फल पैदा करता है। आते-जाते लोगों को छाया देता है। लेकिन खुद उस फल को नहीं खाता। उन्होंने अपने कैरियर को लेकर पागल रहने वालों के बारे में बताया कि उनकी जिंदगी व्यर्थ है अगर वे अपने परिवार और समाज को समय नहीं देते। जीवन जीने का एक मात्र तरीका मेडिटेशन या ध्यान है। ध्यान से ही आत्मा को बदला जा सकता है। उन्होंने स्कूलों में ध्यान की शिक्षा पर बल दिया। उन्होंने कहा कि जब हम सिर्फ अपने जीने के बारे में सोचते है तो अहिंसा का माहौल बनता है लेकिन जब हम दुनिया, समाज और देश के लिए जीते हैं तो कोई समस्या पैदा नहीं होती।
सम्‍मेलन के उद्घाटन सत्र को फ्रांस के इंटरनेशल इंस्‍टीटयूट आफ पीस स्‍टडीज एंड ग्‍लोबल फिलोसिफी के निदेशक डाक्‍टर थामस डाफर्न, सेंटर फार ग्‍लोबल नान किलिंग संस्‍थान के अध्‍यक्ष प्रोफेसर अनूप स्‍वरूप, आयोजक समिति के अध्‍यक्ष व अणुव्रत इंटरनेशनल काउंसिल फॉर पीस के अध्यक्ष टीके जैन और जैन विश्‍व भारतीय संस्‍थान में प्रोफेसर श्रमणी चैतन्‍य प्रज्ञा ने भी संबोधित किया। ओकीडो इंडिया के अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षक डाक्‍टर प्रदीप भाटी चार दिवसीय सम्‍मेलन के दौरान रोजाना सुबह योगाभ्‍यास कराएंगे।

Home / Miscellenous India / युवाओं को शांति व अहिंसा में प्रशिक्षित करना जरूरी: ओम बिरला

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.