जानकारी के मुताबिक़ नागालैंड के दीमापुर क्षेत्र के एक ख़ास इलाके में आज भी कुत्तों का मांस खाने की प्रथा है. यहां के लोगों का मानना है कि कुत्तों के मांस में औषधीय गुण होते हैं. इसी कारण से इस समुदाय विशेष के लोग कुत्तों को मारकर खाते हैं. हलांकि ये प्रथा पूरे नागालैंड में नहीं, बल्कि राज्य के एक छोटे इलाके के एक ख़ास समुदाय में ही प्रचलित है.
ऑस्ट्रेलिया में बिक रही भारत की देशी खाट, कीमत 50 हजार रूपये जानकारी के मुताबिक़ इस इलाके में कुत्तों का मांस खरीदने के लिए साप्ताहिक बाजार लगता है. इस अवसर पर आकर कोई भी ग्रामीण कुत्तों को खरीद सकता है. यहां इस बात की भी जानकारी मिली है कि इस इलाके में लोग सिर्फ कुत्तों का ही नहीं, बल्कि कई ऐसे जानवरों का मांस भी खाते हैं, जिन्हें भारत के अन्य हिस्सों में पसंद नहीं किया जाता. इनमें बिल्लियां या मेढक इत्यादि कई जीव शामिल हैं. इस बाजार में पूरे कुत्ते भी खरीदे जा सकते हैं, लेकिन अगर कोई पूरा कुत्ता खरीदने में सक्षम नहीं है, तो उसे काटकर जरूरत के मुताबिक़ कम मात्रा में भी कुत्ते का मांस उपलब्ध करवा दिया जाता है.
सिर्फ सात साल की उम्र में ये बच्चा उड़ाने लगा प्लेन इसी इलाके के एक अधिकारी ने जानकारी दी है कि सभी पढ़े-लिखे लोगों को इस बात की जानकारी है कि कुत्तों का मांस खाना कानूनन अवैध है, लेकिन बावजूद इसके यहां पर ये प्रथा प्रचलित है. हलांकि ये सिर्फ एक छोटे से हिस्से में ही प्रचलित है, पूरे नागालैंड में नहीं.