कोरोना वायरस लाकडाउन के दौरान निजी स्कूलों (Online Study at Home ) द्वारा फीस वसूली ( private schools fees case ) का मामला।
ऑनलाइन क्लासेज ( Online Classes During Lockdown ) ना लेने वालों को को फीस ( privete school fees ) देने को मजबूर नहीं सकते हैं निजी स्कूल।
सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) ने उत्तराखंड हाईकोर्ट ( Uttarakhand High Court ) के फैसले में दखल देने से कर दिया इनकार।
बिन छात्र शिक्षक जाएंगे स्कूल, क्लासरूम से ली जाएंगी ऑनलाइन क्लासेस ताकी बच्चे ब्लैकबोर्ड टीचिंग का अनुभव ले सकें
नई दिल्ली। गैर मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों में ट्यूशन फीस ( private schools fees case ) के मामले में सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) ने सोमवार को उत्तराखंड हाईकोर्ट ( Uttarakhand High Court ) द्वारा सुनाए गए फैसले में कोई भी दखल देने से इनकार कर दिया है। यह मामला उत्तराखंड में कोरोना वायरस के चलते लागू लॉकडाउन के दौरान निजी स्कूलों द्वारा अभिभावकों को फीस भुगतान के लिए मजबूर किए जाने से जुड़ा है।
कोरोना काल में गडकरी ने दिया शानदार फार्मूला, रोज केवल चार घंटे काम करके 20 हजार महीना की कमाई सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार माना कि बिना मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों के छात्रों को कोरोना वायरस के प्रकोप को रोकने के लिए लागू देशव्यापी लॉकडाउन की अवधि के दौरान फीस का भुगतान करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है। दरअसल उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हाल ही में राज्य के सभी निजी गैर-मान्यता प्राप्त स्कूलों के लिए एक आदेश दिया था। इसमें इन स्कूलों को उन अभिभावकों से ट्यूशन फीस मांगने से रोक दिया था, जो अपने बच्चों को ऑनलाइन क्लास ( Online Classes During Lockdown ) दिलाने में सक्षम नहीं थे।
उत्तराखंड हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद निजी स्कूलों ने इस आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि वे इस स्तर पर मामले पर विचार करने के लिए उत्सुक नहीं हैं। हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका प्रिंसिपल्स प्रोग्रेसिव स्कूल्स एसोसिएशन और सेंट जूड्स, देहरादून के द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में दायर की गई थी।
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि कि ट्यूशन फीस ( privete school fees ) का भुगतान केवल उन छात्रों को ही करना चाहिए जो कि इसका भुगतान करना चाहते हैं और निजी स्कूलों द्वारा पेश किए जा रहे ऑनलाइन पाठ्यक्रम का इस्तेमाल करने में सक्षम हैं। जबकि ऐसे छात्र जिनके पास ऑनलाइन पाठ्यक्रम (Online Study at Home ) तक पहुंच नहीं है, उन्हें ट्यूशन फीस का भुगतान करने के लिए स्कूलों द्वारा नहीं कहा जा सकता है।
वहीं, स्कूलों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील जोहेब हुसैन ने दलील दी थी कि ऑनलाइन मीडियम से शिक्षा प्रदान करने वाले स्कूलों को फीस लेने से रोका नहीं जाना चाहिए। उन्होंने हाईकोर्ट से ऑनलाइन स्टडी में शामिल खर्च को ध्यान में रखने के लिए भी कहा। उन्होंने अदालत को बताया कि ऑनलाइन कक्षाओं में छात्रों की हाजिरी 100 प्रतिशत है, लेकिन फीस केवल 10 प्रतिशत छात्र ही दे रहे हैं।
दरअसल, उत्तराखंड सरकार द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि लॉकडाउन के दौरान जिन निजी स्कूलों ने ऑनलाइन कक्षाएं या अन्य संचार माध्यम शुरू किए हैं, केवल उन्हें ही ट्यूशन फीस लेने की अनुमति होगी। आदेश में यह भी निर्देश दिए गए हैं कि शुल्क का भुगतान नहीं करने पर एक छात्र को हटाया नहीं जा सकता है।