लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने बताया कि राष्ट्रपति को इस संबंध में एक ज्ञापन भी सौंपा गया।
नई दिल्ली। कांग्रेस के नेतृत्व में 16 विपक्षी दलों के नेताओं ने कराधान संशोधन विधेयक लोकसभा में हंगामे के बीच बिना चर्चा के पारित कराए जाने पर गुरुवार को राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से मुलाकात कर अपनी शिकायत दर्ज कराई।
राष्ट्रपति से मिलने के बाद कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने संवाददाताओं से कहा कि राष्ट्रपति से सरकार की मनमानी की शिकायत की गई। विपक्ष की आवाज दबाकर विधेयक पारित किया गया और सरकार के रवैये से लोगों में भय का माहौल है। लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने बताया कि राष्ट्रपति को इस संबंध में एक ज्ञापन भी सौंपा गया।
विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति से संसद में सरकार के काम करने के तौर तरीके की शिकायत की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री संसद में कम और बाहर ज्यादा बोलते हैं। सरकार ने कराधान संशोधन विधेयक पारित कराने में नियम 81 और 82 का उल्लंघन किया है।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता मोहम्मद सलीम ने कहा कि संसदीय लोकतंत्र में विधेयक पारित कराने के स्पष्ट प्रावधान हैं। इन दलों ने राष्ट्रपति भवन में मुखर्जी से मिलकर इस बात की शिकायत की कि इस विधेयक को बिना चर्चा के लोकसभा में पारित कराया गया और इसे धन विधेयक के रूप में पेश किया गया था। राष्ट्रपति से मिलने वाले विपक्षी नेताओं में गांधी और खरगे के अलावा तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और झारखंड मुक्ति मोर्चा तथा वामदल के नेता शामिल थे।
मंगलवार को लोकसभा में जब वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस विधेयक को पारित कराने की कोशिश की थी तो विपक्षी दलों ने इसका कड़ा विरोध किया था लेकिन इसे शोर-शराबे के बीच ही पारित कर दिया गया। विपक्षी दलों का कहना है कि मोदी सरकार कई बार सामान्य विधेयक को भी धन विधेयक के रूप में लोकसभा में पेश कर रही है ताकि अगर वह विधेयक राज्यसभा से नामंजूर भी हो जाये तो उसे स्वत: पारित मान लिया जाएगा। उनका यह भी कहना है कि कराधान विधेयक से काले धन का 50 प्रतिशत सफेद किया जा सकता है इसलिए इस विधेयक पर चर्चा होनी जरूरी है लेकिन सरकार ने उनकी इस दलील को नजरअंदाज करते हुए इस विधेयक को बिना चर्चा के पारित करा लिया।