धीरे-धीरे हमारी दुनिया एक प्लास्टिक की दुनिया में तब्दील होती जा रही है। दुनिया का यह एक कड़वा सच है कि हम प्लास्टिक के धूंए को ही सांसों के ज़रिए अपने शरीर में ले रहे हैं। एक रिसर्च का मानना है कि प्लास्टिक के अत्यधिक उपभोग से आम इंसान भी 50 की उम्र तक आते-आते मौत की कगार पर आ जाएगा। प्लास्टिक का बढ़ता उपभोग न सिर्फ इंसानों के लिए बल्कि हमारे पर्यावरण को भी बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है। क्योंकि एक सामान्य प्लास्टिक को भी नष्ट होने में एक हज़ार साल लग जाते हैं।
आपको जानकर हैरानी होगी कि एक बोतल को रीसाइकल करने में इतनी बिजली खर्च हो जाती है, जितने में 60 वॉट का एक बल्ब 6 घंटे तक रोशनी कर सकता है। इसके साथ ही एक आंकड़े में बताया गया कि इस धरती पर मौजूद कुल तेल का 8 प्रतिशत हिस्सा तो सिर्फ प्लास्टिक के प्रोडक्शन में ही खर्च हो जाता है। एक साल में प्लास्टिक का इतना कचरा इकट्ठा हो जाता है, जितने में पृथ्वी को 4 बार घेरा जा सकता है।
इसके अलावा हर साल प्लास्टिक से मरने वाले जानवरों की संख्या 1 लाख से ऊपर पहुंच चुकी है। इस धरती पर रवांडा एकमात्र ऐसा देश है, जहां प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है। आपको जानकर हैरानी होगी कि प्लास्टिक में एक ऐसा केमिकल होता है, जिसे हमारा शरीर आसानी से ऐब्सॉर्ब कर लेता है। बता दें कि 6 साल से अधिक उम्र के लोगों में ऐसे मामले अब बढ़कर 93% हो गए हैं। इन लोगों के शरीर में प्लास्टिक में पाया जाने वाला केमिकल BPA पाया गया है।