श्री श्री रविशंकर पर ओवैसी को आपत्ति
हालांकि, ओवैसी ने इस बात का समर्थन किया कि बातचीत और मध्यस्थता से इस विवाद का समाधान हो सकता है। लेकिन इस साथ ही इस पैनल में श्री श्री रविशंकर को शामिल करने पर उन्होंने आपत्ति जताई है। ओवैसी ने श्री श्री रविशंकर के मुस्लिमों को लेकर जारी किए एक पिछले बयान का हवाला देते हुए कहा कि अगर कोर्ट ने पैनल में किसी निष्पक्ष व्यक्ति का चुनाव किया होता तो बेहतर होता। आपको बता दें कि श्री श्री रविशंकर ने पहले कहा था, ‘अगर मुस्लिम अयोध्या पर दावा करने से खुद को पीछे नहीं किया तो भारत का हाल सीरिया जैसा हो जाएगा।
उमा भारती की प्रतिक्रिया ओवैसी के अलावा भाजपा की वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हम कोर्ट का सम्मान करते हैं। लेकिन इसके साथ ही हम राम भक्त भी हैं और हम एक ही बात कहना चाहेंगे कि जैसे वेटिकन सिटी में मस्जिद नहीं बन सकती, जैसे मक्का-मदीना में मंदिर नहीं बन सकता, उसी तरह से रामलला जहां पर हैं वहां दूसरा कोई धार्मिक स्थल नहीं बन सकता है।
फैजाबाद में होगी मध्यस्थता की प्रक्रिया आपको बता दें कि मध्यस्थता के लिए स्थान के रूप में फैजाबाद को चुना गया है। पक्षकार इकबाल अंसारी ने भी कोर्ट के मध्यस्थता के फैसले का स्वागत किया है। आपको बता दें कि श्री श्री रविशंकर प्रसाद ने 2017 में अयोध्या विवाद में मध्यस्थता कराने की बात कही थी। जस्टिस खलीफुल्ला सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज हैं। श्रीराम पांचु सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील हैंं। पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने बुधवार को केस में मध्यस्थता पर अपने फैसले को सुरक्षित रख लिया था।