पैकेज में गरीबों और मजदूरों के लिए कुछ नहीं- चिदंबरम पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पांच दिन में पांच धारावाहिक दिखाए। लेकिन, FM गरीब, मध्यमवर्ग और मजदूर का दर्द समझने में विफल रही है। सरकार का बेहद कम खर्च नहीं रहेगा। उन्होंने कहा कि हमने कई विशेषज्ञों से बात करने के बाद इस पैकेज का विशलेषण किया है। चिदंबरम ने कहा कि इस साल का एक्सपेंडिचर बजट 30 लाख करोड़ से अधिक था, जबकि वित्त मंत्री घोषित पैकेज में यह इस बजट से सिर्फ 1.86 लाख करोड़ अधिक है। इनमें राजस्व नुकसान 7500 करोड़ रुपए, डीबीटी पर 33 हजार करोड़, मुफ्त अनाज सिर्फ 3500 करोड़ रुपए समेत कुछ अन्य खर्चे शामिल हैं।
सरकार ने 13 करोड़ गरीबों की अनदेखी की- पूर्व गृह मंत्री कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार ने 13 करोड़ गरीबों की अनदेखी कर दी है। इस पैकेज से निराशा मिली है। उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि सरकार फिर से समीक्षा कर देश की मदद के लिए एक बार फिर से आर्थिक राहत पैकेज लेकर आएगी। इससे पहले पूर्व गृह मंत्री ने इस पैकेज पर कई सवाल उठाए थे। जब पीएम मोदी ने आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी तो उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री ने केवल हेडलाइंस और ब्लैंक पेपर दिया है। वहीं, पैकेज की घोषणा के बाद उन्होंने कई चीजों पर सवाल उठाए। चिदंबरम ने कहा कि मधुमक्खी पालन परियोजना पर 2020-21 में पहले ही राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत बीईई कीपिंग के लिए 2,400 करोड़ रुपए आवंटित हैं। ठीक उसी तरह पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत पांच साल का 13,343 करोड़ रुपये का इनवेस्टमेंट और 2020-21 में 1,300 करोड़ रुपए आवंटित किए जा चुके हैं।
आज मनरेगा ही बना सहारा- चिदंबरम वित्त मंत्री के साथ-साथ चिदंबरम ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ( PM Narendra Modi ) पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने कभी संसद में मनरेगा को लेकर कहा था कि यह कांग्रेस की विफलता का जीता जागता स्मारक है। आज वही स्मारक इस महामारी में लोगों को रोजगार देने और संबल देने का सबसे बड़ा माध्यम बनने जा रहा है। यही वजह है कि केन्द्र सरकार को मनरेगा के लिए 40 हजार करोड़ रुपए का बजट अतिरिक्त देना पड़ रहा है। चिदंबरम ने कहा कि स्थानीय ग्रामीणों के साथ-साथ प्रवासी मजदूरों के लिए सिर्फ मनरेगा ही संजीवनी का काम कर सकता है।