मूर्ति से जुड़ी खास बातें
– 250 फीट ऊंची यह मूर्ति दुनिया में अब तक की आंबेडकर की सबसे ऊंची प्रतिमा होगी
– 2 साल में इस प्रतिमा को किया जाएगा तैयार
– मूर्ति का निर्माण राम सुतार के नोएडा स्टूडियो में होगा
– चीन में उस आधार सांचा तैयार होगा जो सुतार अपने स्टूडियो में बनाएंगे – शुद्ध कांसे से तैयार की जाएगी प्रतिमा
– 250 फीट ऊंची यह मूर्ति दुनिया में अब तक की आंबेडकर की सबसे ऊंची प्रतिमा होगी
– 2 साल में इस प्रतिमा को किया जाएगा तैयार
– मूर्ति का निर्माण राम सुतार के नोएडा स्टूडियो में होगा
– चीन में उस आधार सांचा तैयार होगा जो सुतार अपने स्टूडियो में बनाएंगे – शुद्ध कांसे से तैयार की जाएगी प्रतिमा
मुंबई में ही लगी है विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा
आपको बता दें कि विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा भी महाराष्ट्र के मुंबई में ही लगी है। ये प्रतिमा छत्रपति शिवाजी की है। इस प्रतिमा की ऊंचाई 398 फीट है। वहीं गुजरात के भरूच में लगने वाली 597 फीट ऊंची सरदार पटेल की मूर्ति का निर्माण भी राम सुतार ही कर रहे हैं।
आपको बता दें कि विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा भी महाराष्ट्र के मुंबई में ही लगी है। ये प्रतिमा छत्रपति शिवाजी की है। इस प्रतिमा की ऊंचाई 398 फीट है। वहीं गुजरात के भरूच में लगने वाली 597 फीट ऊंची सरदार पटेल की मूर्ति का निर्माण भी राम सुतार ही कर रहे हैं।
425 करोड़ की लागत से बन रहा आंबेडकर स्मारक
महाराष्ट्र सरकार मुंबई के दादर में स्थित शिवाजी पार्क के इंदु मिल की जमीन पर 12.4 एकड़ जमीन पर 425 करोड़ की लागत से आंबेडकर स्मारक का निर्माण करा रही है। 14 अप्रैल 2020 तक स्मारक का कार्य पूरा होना है। 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्मारक का भूमिपूजन किया था। यह जमीन पहले केंद्र सरकार के पास थी। पिछले साल केंद्र सरकार ने जमीन महाराष्ट्र सरकार को हस्तांतरित कर दी थी।
महाराष्ट्र सरकार मुंबई के दादर में स्थित शिवाजी पार्क के इंदु मिल की जमीन पर 12.4 एकड़ जमीन पर 425 करोड़ की लागत से आंबेडकर स्मारक का निर्माण करा रही है। 14 अप्रैल 2020 तक स्मारक का कार्य पूरा होना है। 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्मारक का भूमिपूजन किया था। यह जमीन पहले केंद्र सरकार के पास थी। पिछले साल केंद्र सरकार ने जमीन महाराष्ट्र सरकार को हस्तांतरित कर दी थी।
आपको बता दें कि बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर का निधन दिल्ली में हुआ था, लेकिन उनका अंतिम संस्कार मुंबई में समुद्र किनारे किया गया था। यहां एक स्मारक है, जिसे चैत्यभूमि कहते हैं। इसी के बगल में इंदु मिल है। यहां काफी समय से आंबेडकर स्मारक बनाने की मांग हो रही थी। इसी के चलते इंदु मिल और चैन्यभूमि की जमीन को मिलाकर आंबेडकर स्मारक बनाने का निर्णय हुआ।