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आप की जीत और बीजेपी की हार ने पाकिस्तान में बटोरी सुर्खियां, जानें क्या रही मीडिया की प्रतिक्रिया

locationनई दिल्लीPublished: Feb 12, 2020 02:41:02 pm

Submitted by:

Piyush Jayjan

पाकिस्तानी मीडिया ( Pakistan Media ) ने कहा कि हिंदू मतदाताओं को लुभाने के लिए बीजेपी ने अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ ज़हर उगला और नफ़रत का माहौल पैदा किया लेकिन इन सब कोशिशों के बावजूद भी वोटर्स ( Voters ) ने मोदी सरकार की नीतियों को ठुकरा दिया।

AAP

Aam Aadmi Party

नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी ( AAP ) को जोरदार जीत हासिल हुई है। आप ने दिल्ली का चुनाव विकास के मुद्दे पर लड़ा, वहीं इन चुनावों में बीजेपी ( BJP ) ने राष्ट्रवाद और पाकिस्तान ( Pakistan ) को मुद्दा बनाकर अपनी नैय्या पार लगाने की कोशिश की।

अब जब चुनाव के नतीजे आ चुके है तो जाहिर सी बात है कि इसकी चर्चा पाकिस्तान ( Pakistan ) में भी जरूर होगी। पाकिस्तान के लगभग सभी अख़बारों ( Newspaper ) ने दिल्ली में आम आदमी पार्टी की शानदार जीत और बीजेपी करारी शिकस्त से जुड़ी खबरों को प्रमुख रूप से छापा है।

पाकिस्तानी मीडिया ( Media ) ने लिखा कि विवादित नागरिक संशोधन क़ानून ( NRC ) मोदी सरकार को दिल्ली में ले डूबा। एक पाकिस्तानी अख़बार ने लिखा कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने मोदी की अगुवाई वाली भारतीय जनता पार्टी को तीसरी दफा शिकस्त का मज़ा चखाया है।

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बीजेपी तमाम हथकंडे इस्तेमाल करने के बावजूद सिर्फ़ आठ सीटें ही कब्जा सकीं। दिल्ली के चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 62 सीटें जीती हैं। राजधानी में सरकार बनाने के लिए केवल 36 सीटों की ज़रूरत होती है लेकिन आम आदमी पार्टी ने 62 सीटें जीतकर बीजेपी के सरकार बनाने के दावे को हवा में उड़ा दिया।

अख़बार ने राजनीतिक विश्लेषकों के हवाले से लिखा है कि मोदी की पार्टी की हार की बड़ी वजह विवादित नागरिकता संशोधन क़ानून है जिसे मुसलमान समेत भारत के कई समुदायों ने नकार दिया है। इस बार चुनाव में बीजेपी ने एनआरसी और शाहीन बाग़ को अपना चुनावी मुद्दा बनाया था।

प्रमुख पाकिस्तानी अख़बार ( Pakistan Newspaper ) ने लिखा है कि दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी ( AAP ) ने एक बार फिर बाजी मार ली। वहीं अंग्रेज़ी अख़बार ने लिखा कि दिल्ली के अहम चुनाव में मोदी ने हार स्वीकार की। अख़बार के मुताबिक दिल्ली चुनाव विवादित नागरिकता संशोधन क़ानून को पास करने के बाद मोदी के लिए पहली चुनावी चुनौती थी।

इस बार बीजेपी ने बहुत ही आक्रामक चुनाव प्रचार किया था। इस चुनावों के ज़रिए बीजेपी ने नागरिकता क़ानून पर लोगों का समर्थन हासिल करने की कवायद की थी। ऐसे में दिल्ली की हार बीजेपी के लिए इस कड़ी में ताजातरीन उदाहरण है। यह हार पीएम मोदी के रसूख के लिए भी काफी नुकसानदायक है।

इसकी एक वजह यह है कि मोदी की अगुवाई में महज आठ महीने बीजेपी ने आम चुनाव में शानदार जीत दर्ज की थी। जिनमें बीजेपी को दिल्ली की सभी सात पर जीत मिली थी। इसके साथ ही एक फेमस न्यूज चैनल ने कहा कि दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी ने बीजेपी का सफाया कर दिया।

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दिल्ली का चुनाव मोदी के लिए एक बड़ी चुनौती थी। दिसंबर 2019 में बने एनआरसी को भारत के धर्मनिरपेक्ष संविधान और अल्पसंख्यक मुसलमानों के हितों के ख़िलाफ़ बताया जा रहा है। आपको बता दे कि बीजेपी ( BJP ) ने चुनाव प्रचार के दौरान एनआरसी ( NRC ) का विरोध कर रहे लोगों को पाकिस्तान ( Pakistan ) समर्थक बताया था।

भले ही इन चुनावों में बीजेपी पिछले चुनाव के मुक़ाबले तीन से बढ़कर आठ सीट पर पहुंच गई हो लेकिन वो उनकी अपनी अपेक्षा से बहुत कम थीं। इसके अलावा एक अन्य अख़बार ने लिखा कि राष्ट्रीय राजनीति में तो मोदी की हैसियत का कोई दूसरा नेता नज़र नहीं है। लेकिन मोदी की प्रभावी छवि राज्य के चुनावों में ज्यादा असरदार साबित नहीं होती है।

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