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लैंडिंग के वक्त विमान की फ्रीक्विंसी हैक कर रहे पाकिस्तानी, बजा रहे गाने

Published: Oct 04, 2016 03:59:00 pm

एलओसी के पास से गुजरने वाले भारतीय विमानों को हो रही दिक्कतें। पायलटों को किया जा रहा तंग।

LOC Indian flights

LOC Indian flights

श्रीनगर. सर्जिकल स्ट्राइक से बौखलाया पाकिस्तान भारत को परेशान करने के लिए हर पैंतरे अाजमा रहा है। अब पाकिस्तानी हैकर्स भारतीय पायलटों को परेशान कर रहे हैं। जैसे ही भारतीय विमान एलओसी के पास से गुजरते हुए लैंड की तैयारी करता है, तभी सीमा पार के हैकर्स फलाइट की फ्रीक्विंसी हैक कर लेते हैं। वे पाकिस्तान के गाने बजाकर पायलटों को सुनाने लगते हैं। 



लैंडिंग में ध्यान भटकाया जा रहा

इस तरह से भारतीय पायलटों को एयर ट्रैफिक कंट्रोल से संपर्क करने में दिक्कतें आती हैं। कई बार उनसे संपर्क टूट जाता है और पाकिस्तानी गाने फ्लाइट में बजने लग जाते हैं। ऐसे कई मामले लगातार सामने आ रहे हैं। पायलटों ने इस बाबत शिकायत की है। इनका कहना है कि लैंडिंग के वक्त ध्यान भटकता है और कंट्रोल रूम से संपर्क टूटने से लैंडिंग की क्लियरिंस मिलने में मुश्किल होती है। दरअसल, जब पायलट लैंडिंग की तैयारी कर रहे होते हैं, तब वो जम्मू एयर ट्रैफिक कंट्रोल से संपर्क करने के लिए एक फ्रीक्विंसी का इस्तेमाल करते हैं। हैकर्स इसे हैक कर रहे हैं। बता दें कि एयरलाइन्स की सेवाएं जम्मू तक हैं, लेकिन एयर इंडिया सेना के विमानों को लेकर थोएस स्थित सैन्य बेस पर ले जाती है। थोएस स्थित डिफेंस हवाईअड्डे पर कोई निश्चित विमान सेवा नहीं है।

ये गाने बज रहे

 जो गाना सबसे ज्यादा बजता है उनमें ‘दिल दिल पाकिस्तान, जान जान पाकिस्तान’ गाना प्रमुख है। वहीं, पायलटों का कहना है कि उस पार से हैकर्स द्वारा कोई संदेश नहीं दिया जाता। केवल गाने और कभी कभार वहां का स्थानीय रेडियो चलने लगता है। एक पायटल ने बताया कि लैंडिंग के लिए ऐसी हालत में वह उधमपुर स्थित उत्तरी नियंत्रण क्षेत्र के एयर ट्रैफिक कंट्रोल से संपर्क करते हैं। उससे संपर्क केवल तभी हो पाता है जब विमान 10,000 फुट से ज्यादा ऊंचाई पर होता है। यह टावर भारतीय वायु सेना चलाती है। बता दें कि पायलटों को इससे नीचे की ऊंचाई पर जम्मू टावर से संपर्क करना पड़ता है।

वैकल्पिक फ्रीक्विंसी मांगी जाती है

 पायलट नॉदर्न कंट्रोल से संपर्क करते हैं। नॉदर्न कंट्रोल जम्मू एटीसी को फोन कर एक वैकल्पिक फ्रीक्विंसी लेता है। पायलट को इस फ्रीक्विंसी की जानकारी देता है। इसका इस्तेमाल करने पर पायलट की एटीसी से बात हो पाती है और उसे लैंडिंग से जुड़े जरूरी निर्देश मिलते हैं। 
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