लालू राज में बोलती थी तूती पप्पू यादव माकपा नेता अजित सरकार हत्याकांड में आरोपी रह चुके हैं। हालांकि, कई साल बाद बिहार हाईकोर्ट ने इस मामले में उन्हें बरी कर दिया। लेकिन, जब इस मामले में ट्रायल चल रहा था उस वक्त बिहार की राजनीति में पप्पू यादव की छवि एक दबंग नेता के दौर पर थी। जिस वक्त यह हादसा हुआ, उस वक्त पप्पू यावद राजद से सांसद थे। ऐसा कहा जाता है कि छात्रों के बीच उनकी अच्छी पकड़ थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पप्पू यादव बेऊर जेल के कैदी थे, लेकिन बीमारी का बहाना बनाकर वह पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के कैदी वार्ड में भर्ती थे। पीएमसीएच का आलम यह था कि वहां फरियादी पप्पू यादव से मिलने के लिए लाइन लगाए रहते थे।
पीएमसीएच में भी चलता था सिक्का पप्पू यादव भले ही पीएमसीएच में मरीज बनकर भर्ती हुए थे। लेकिन, अक्सर वहां भी उनका दरबार सजता था। हॉस्पिटल में पप्पू से मिलने के लिए फरियादियों की लाइन लगी रहती थी। उन्होंने आईसीयू वार्ड के दो रूम पर कब्जा जमा रखा था। इतना ही नहीं नियम-कानून को ताख पर रखकर पप्पू यादव खुलेआम दूसरे वार्डों में घूमा करते थे। हालांकि, बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में बिहार सरकार को फटकार भी लगाई थी और उन्हें तुरंत जेल में शिफ्ट करने का आदेश दिया था। पप्पू यादव जेल के अंदर भी वीआईपी ट्रीटमेंट पाते थे। पप्पू पर जेल के अंदर पार्टी करने का भी आरोप लगा था। साल 2004 में जब उन्हें अजित सरकार हत्याकांड में नियमित जमानत मिल गई तब वो पटना के बेऊर जेल से रिहा कर दिए गए लेकिन 26 सितंबर, 2004 को दोबारा जेल के अंदर घुसकर पार्टी की थी। तत्कालीन जेल आईजी ने अपनी रिपोर्ट में यह बात कही थी कि पप्पू यादव ने जेल नियमों को ताक पर रखकर रिहाई के बाद दोबारा जेल में गेट नंबर वन से एंट्री ली थी। आरोप है कि पप्पू ने वहां अपने करीब 50 समर्थकों समेत जेल कर्मचारियों को भी पार्टी दी थी। बाद में सुप्रीम कोर्ट की तल्खी पर दो संतरी और जेल वार्डेन के सस्पेंड कर दिया गया था।
किताब में किया था चौंकाने वाला खुलासा जब पप्पू यादव जेल में थे, तो उन्होंने ‘द्रोहकाल का पाथिक’नामक आत्मकथा लिखा था। इसमें पप्पू ने दावा किया था कि साल 2008 यूपीए सरकार के विश्वास मत परीक्षण के दौरान कांग्रेस और भाजपा दोनों ने समर्थन जुटाने के लिए सांसदों को 40-40 करोड़ रूपए देने की पेशकश की थी। पप्पू ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि 2001 में एनडीए के समर्थन के लिए भी पैसे बांटे गए थे। पप्पू के मुताबिक, साल 2001 में एनडीए सरकार के तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने इंडियन फेडरल डेमोक्रैटिक पार्टी के तीन सांसदों को एनडीए का हिस्सा बनने के लिए पैसा दिया था। उन्होंने तत्कालीन सांसद अनवारूल हक को एक एसेंट कार के साथ 1 करोड रुपए मिलने का दावा कर राजनीतिक जगत में सनसनी फैला दी थी।