प्रधानमंत्री से लेकर मानव संसाधन मंत्री तक से लगाई गुहार।
चेंज डॉट ओआरजी पर एक याचिका के जरिये मांगा समर्थन।
स्कूलों की संस्था के मुताबिक फीस वृद्धि नियमानुसार की गई।
लॉकडाउन में बच्चों की फीस का खेल, निजी स्कूल संचालक अभिभावकों पर बना रहे दबाव
नई दिल्ली। लॉकडाउन के कठिन समय में कुछ निजी स्कूलों की ओर से फीस वृद्धि को लेकर अभिभावकों ने ऑनलाइन अभियान छेड़ दिया है। अभिभावकों का कहना है कि लॉकडाउन के समय में घर चलाना मुश्किल हो रहा है। आर्थिक मंदी और बेरोजगारी से उबर नहीं पा रहे हैं, ऐसे में निजी स्कूलों का फीस वृद्धि करना जायज नहीं है।
दूसरी ओर निजी स्कूलों से जुड़े संगठनों का कहना है कि स्कूल फीस वृद्धि नियमों से बाहर नहीं की जा रही, अगर जो स्कूल नियमों को ताक में रख कर वृद्धि रहे हैं उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए लेकिन लॉकडाउन का कठिन समय सिर्फ अभिभावकों के लिए ही नहीं बल्कि स्कूल और उनसे जुड़े अध्यापकों और स्टाफ के परिवारों के लिए भी है।
गुरुग्राम की रहने वाली अमरप्रीत कौर ने चेंजडॉटओआरजी वेबसाइट के जरिए एक याचिका मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को दी है। वह कहती है कि कोरोना वायरस के समय हम लोग खाने पीने, दवाई और आगे की मुश्किलों को सोचकर परेशान हो रहे हैं तो दूसरी ओर से निजी स्कूल संकट की इस घड़ी में फीस बढ़ोतरी कर रहे हैं। वह कहती हैं कि मेरे बच्चों के स्कूल की तरफ से मुझे फीस बढ़ोतरी का नोटिस मिला है। इसलिए मैंने यह अभियान छेड़ा है।
वेबसाइट पर उनकी याचिका पर अब तक 34,316 लोग हस्ताक्षर कर अपना समर्थन दे चुके हैं। इसी तरह स्कूल अभिभावक समुदाय नाम के एक संगठन ने ट्विटर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम खुला पत्र लिखकर निजी स्कूलों की फीस बढ़ोतरी वापस लेने की मांग की है।
उधर दिल्ली एनसीआर समेत कई निजी स्कूलों के संगठन नेशनल इंडिपेंडेंट स्कूल अलायंस (एनईएसए) के अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने कहा कि फीस वृद्धि नियमानुसार की जाती है और यह आज से नहीं बल्कि दिसंबर में ही इसकी सूचना राज्य सरकारों को दे दी गई है। अगर कोई स्कूल 30 से 35 फीसदी वृद्धि करता है तो यह गलत है। लेकिन 10 से 12 फीसदी वृद्धि तर्कसंगत है।
उन्होंने आगे कहा कि सरकार से हमें कोई मदद नहीं मिलती है। हमें अध्यापकों और गैर अध्यापकों के स्टाफ के परिवारों को देखना है। इसलिए अभिभावकों को भी सोचना चाहिए। हम अभी फीस लेने के लिए भी दबाव नहीं बना रहे है। उधर, मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि इसे लेकर सीबीएसई से बात की जा रही है और कोई बीच का रास्ता निकाला जा रहा है।