कोरोना डालेगा बच्चों के दिमाग पर गहरा असर।
बिना प्रशिक्षण ऑनलाइन पढ़ाना नहीं आसान।
वॉट्सऐप ग्रुप पर छात्रों को भेजे जा रहे हैं नोट्स।
social distancing in Board Exams
जयपुर। कोरोना के प्रभाव से देश का छात्र वर्ग तक अछूता नहीं रह पाया है। खासकर वे छात्र ज्यादा भयभीत और संशय में हैं, जिनकी बोर्ड परीक्षाएं बीच में अटक गईं। पहली से नवीं और ग्यारहवीं के छात्रों को तो अगली कक्षा में क्रमोन्नत कर दिया गया, पर दसवीं और बारहवीं के छात्रों पर कोई फैसला नहीं हो पाया। देश के करीब 87 फीसदी शिक्षकों की राय है कि सावधानी बरतते हुए सोशल डिस्टेंसिंग पैटर्न से बोर्ड की परीक्षाएं करवानी चाहिए।
लॉकडाउन में कराए सर्वे में तकरीबन 80 प्रतिशत शिक्षकों ने छात्रों को क्रमोन्नत करने के फैसले को सही ठहराया। वहीं, 70 फीसदी ने माना कि कोरोना की दहशत विद्यार्थियों के दिमाग पर गहरा असर डालेगी। 55 प्रतिशत ऑनलाइन पढ़ाई को स्कूल के विकल्प के रूप में सही मानते हैं, लेकिन 87 फीसदी शिक्षकों ने बताया कि उन्हें ऑनलाइन पढ़ाने का विधिवत प्रशिक्षण नहीं मिला है।
करीब 65 प्रतिशत शिक्षकों ने मोबाइल फोन नहीं होने को ऑनलाइन पढ़ाई में सबसे बड़ी बाधा माना तो 58 प्रतिशत ने स्वीकार किया ऐसी पढ़ाई से निजी स्कूल के बच्चों के ज्यादा फायदा होगा।
प्रश्न/उत्तर
कक्षाओं को क्रमोन्नत करना सही है
बोर्ड परीक्षा सोशल डिस्टेंस से होनी चाहिए
कोरोना की दहशत बच्चों की मानसिक अवस्था पर असर डालेगी
ऑनलाइन पढ़ाई क्या बेहतर विकल्प है
ऑनलाइन पढ़ाने का प्रशिक्षण मिला
हां
79.95
86.99
70.39
55.06
11.83
नहीं
18.15
11.67
19.48
41.29
87.51
पता नहीं
1.90
1.34
10.13
3.65
0.66
वॉट्सऐप पर भेजे नोट्स
नागौर के डॉ. उम्मेदसिंह चौधरी कहते हैं, “लॉकडाउन के दौरान विद्यार्थियों को वॉट्सऐप ग्रुप पर महत्वपूर्ण टॉपिक्स पर नोट्स व मॉडल प्रश्न पत्र तैयार कर उपलब्ध करवाए हैं। प्रतियोगी परीक्षा से सम्बन्धित सामग्री भी भेजी है।”
प्रशिक्षण का अभाव भोपाल के आशुतोष पांडे के मुताबिक, “ऑनलाइन शिक्षण निश्चित तौर पर अच्छा है, लेकिन भारत जैसे देश में इसके प्रयोग का सही ढांचा मौजूद नहीं है। ऑनलाइन टीचिंग ट्रेनिंग नहीं है। कुछ शिक्षक जो अधिकारियों से वीडियो काॅन्फ्रेसिंग का काम करते हैं, वे जरूर जानते हैं, लेकिन अधिकांश शिक्षक अनजान हैं।”
ऑनलाइन पढ़ाई में बाधा
मोबाइल कैसे मिले
ऑनलाइन पढ़ाई का फायदा किसे
आप कितने घंटे अध्ययन करते हैं
किस माध्यम से पढ़ते हैं
कोरोना के कामों में लगाना उचित है
कनेक्टिविटीः 28.48 महंगा डेटा: 5.91
मोबाइल/टैब नहीं होना: 65.61
अनुदान से: 59.79स्वयं इंतजाम: 12.65ब्याज मुक्त ऋण: 27.56
निजी स्कूल: 58.82सरकारी स्कूल: 28.12पता नहीं: 13.06
1 घंटा: 23.702 घंटे: 56.304 घंटे: 20.00
किताबों से: 43.29
ऑनलाइन सामग्री:37.99 अखबार-मैग्जीन से: 18.72
हां: 45.54ना: 46.48पता नहीं: 8.28
तकनीकी दिक्कतें हैं बिलासपुर के डाॅ. संजय सिंह की मानें तो वेब क्लासरूम में थोड़ी तकनीकी दिक्कतें हैं। गांव में कनेक्टिविटी समस्या है। शिक्षक तय नहीं कर पाते कि छात्र उनके संवाद को समझ पा रहा है या नहीं। हालांकि क्लास के बाद नोट्स पीडीएफ फॉर्मेट में उपलब्ध करवाते हैं।
नेटवर्क स्पीड बढ़ाएं सीकर के शिक्षक सुभाष मील कहते हैं, “लॉकडाउन में शिक्षण संस्थाएं लगातार ऑनलाइन पढ़ाई की तरफ कदमताल कर रही है। यह अच्छा संकेत है। ग्रामीण क्षेत्र में नेटवर्क की स्पीड बढ़ाने पर सरकार को ध्यान देना होगा।”
स्वस्थ रहने की अपील रायपुर की डॉ ऋतु श्रीवास्तव के मुताबिक, “लॉकडाउन में घर पर रहकर दसवीं और बारहवीं के विद्यार्थियों को ऑनलाइन पढ़ा रहे हैं। सोशल मीडिया के जरिए कोरोना के प्रति जागरूक भी कर रहे हैं। स्वच्छ और स्वस्थ रहने की अपील कर रहे हैं।”
जंग हमारा मुल्क जीत जाएगा बाड़मेर के आगोर से गंगू सिंह कहते हैं, “बाड़मेर से सटे आगोर गांव में बाहर से आने वाले लोगों की तादाद ज्यादा है। प्रतिदिन 7 घंटे क्वारेंटाइन की निगरानी ड्यूटी दे रहा हूं। मेरी आमजन से अपील है कि वे इस संकट की घड़ी में देश को बचाने के लिए घरों में रहें। सोशल डिस्टेंस का पालन करें तो यह जंग भी हमारा मुल्क जीत जाएगा।