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लोग भ्रष्टाचार के खिलाफ, प्रगति चाहते हैं : पीएम मोदी

Published: Nov 29, 2016 06:24:00 pm

मोदी ने कहा, देश भर के ये नतीजे दर्शाते हैं कि लोग देश का चहुंमुखी विकास चाहते हैं और भ्रष्टाचार व कुशासन को कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे

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नई दिल्ली। देश में हुए विभिन्न चुनावों में बढिय़ा प्रदर्शन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को मतदाताओं को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में विश्वास जताने के लिए शुक्रिया अदा किया और कहा कि लोग प्रगति चाहते हैं और भ्रष्टाचार के खिलाफ हैं। मोदी ने श्रंखलागत ट्वीट में कहा, पिछले कुछ दिनों के दौरान, हमने देश भर में विभिन्न चुनावों -संसदीय, विधानसभा तथा नगर निकाय- के नतीजे देखे।

उन्होंने कहा, पूर्वोत्तर, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात… हर जगह भाजपा ने बहुत बढिय़ा प्रदर्शन किया। मोदी ने कहा, देश भर के ये नतीजे दर्शाते हैं कि लोग देश का चहुंमुखी विकास चाहते हैं और भ्रष्टाचार व कुशासन को कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे।

महाराष्ट्र तथा गुजरात में नगर निकाय चुनाव मेंं भाजपा द्वारा सर्वाधिक सीटें जीतने के बाद मोदी की यह टिप्पणी सामने आई है। केंद्र सरकार के नोटबंदी के कदम के बाद पहले चुनाव में भाजपा ने असम, अरुणाचल प्रदेश व मध्य प्रदेश में हुए उपचुनाव में जीत दर्ज की है। पांच राज्यों तथा एक केंद्रशासित प्रदेश में 19 नवंबर को हुए 10 विधानसभा तथा चार लोकसभी सीटों पर उपचुनाव हुए।

संसद में जारी गतिरोध के लिए सरकार जिम्मदार
माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी(माकपा) ने नोट बंदी के मुद्दे पर पिछले नौ दिन से संसद में जारी गतिरोध के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि प्रधानमंत्री ने इस गंभीर मसले पर दोनों सदनों में अब तक बयान नहीं देकर संसद की उपेक्षा की है। लोकसभा में पार्टी के उपनेता मोहम्मद सलीम ने संवददाताओं से कहा कि जब पिछले साल जीएसटी विधेयक पर संसद में गतिरोध उत्पन्न हुआ था तो आ$िखरकार सरकार ने विपक्षी नेताओं के साथ बातचीत कर गतिरोध दूर किया था। प्रधानमंत्री के अलावा संसदीय कार्यमंत्री ने भी पहल की थी, लेकिन इस मुद्दे पर सरकार की ओर से कोई पहल नहीं हुई।

उन्होंने कहा कि सरकार लोकसभा में काम रोको प्रस्ताव पर चर्चा नहीं कराना चाहती इसलिए विपक्ष की मांग को नहीं मान रही और राज्यसभा में प्रधानमंत्री चर्चा के दौरान उपस्थित भी नहीं रहना चाहते। प्रधानमंत्री और उनका मंत्रिमंडल संसद के प्रति जवाबदेह है, प्रधानमंत्री को नीतिगत घोषणाओं के बारे में संसाद में बयान देना चाहिए। संसद की यही परम्परा रही है लेकिन प्रधानमंत्री ने नोट बंदी की घोषणा के बाद सदन को इसकी जानकारी देना भी उचित नहीं समझा।

उन्होंने कहा कि संसद बहस और विचार विमर्श के लिए होती है इसलिए सरकार का यह कर्तव्य और दायित्व बनता है कि वह संसद में इस पर बहस होने दे। सलीम ने कहा कि कालेधन का कोई विरोध नहीं करेगा पर नोट बंदी से कभी भी काला धन नहीं आएगा और अब तो सरकार खुद कराधान विधि संशोधन विधेयक में संशोधन कर कालेधन को स$फेद करने का रास्ता खोल रही है।

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार किस तरह अमीरों का ख्याल रखती है वह न केवल इस विधेयक से स्पष्ट हो गया है बल्कि इस बात से भी कि विमान के टिकट खरीदने के लिए 15 दिसम्बर तक 500 रुपए के पुराने नोट तो चलेंगे लेकिन गरीब लोगों को राशन एवं रोजमर्रा का सामान खरीदने के लिए पुराने नोट नहीं चलेंगे।

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