सुप्रीम कोर्ट ने भीम सिंह से कहा है कि आप बहुत चिंतित हैं तो पहले दो हफ्ते तक कश्मीर में रहें और प्राथमिक जानकारी इकट्ठा करें
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू एवं कश्मीर को लेकर वहां राज्यपाल शासन लागू करने की नेशनल पैंथर्स पार्टी के मुखिया भीम सिंह की याचिका पर नाराजगी जाहिर की। सुप्रीम कोर्ट ने भीम सिंह से कहा है कि यहां दिल्ली में बैठकर आप किसी राज्य सरकार की आलोचना नहीं कर सकते। अगर आप बहुत चिंतित हैं तो पहले दो हफ्ते तक कश्मीर में रहें और प्राथमिक जानकारी इकट्ठा करें। भीम सिंह से कोर्ट ने यह भी कहा है कि वे कश्मीर जाए और स्कूलों, अस्पतालों सहित अन्य चीजों के हालात पर रिपोर्ट दें।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह चाहें तो इस काम के लिए केंद्र सरकार उनके लिए इंतजाम भी कर सकता है हालांकि भीम सिंह ने कहा कि उन्हें कश्मीर में घुसने से 52 बार रोका जा चुका है। इस पर कोर्ट ने कहा कि अगर ऐसा हो तो कोर्ट को बताएं। सुनवाई दो हफ्ते बाद होगी। बता दें कि पैंथर्स पार्टी ने प्रशासन के नाकाम होने के आधार पर राज्य में राज्यपाल शासन लागू करने की मांग को लेकर 22 जुलाई को सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी।
इससे पहले भी कोर्ट जता चुका है नाराजगी
इससे पहले सोमवार (22 अगस्त) को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर ने भीम सिंह की कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू करने की याचिका पर कहा था कि कश्मीर समस्या का हल अदालत के रास्ते नहीं बल्कि राजनीतिक जरिए से हो सकता है। ठाकुर ने सॉलिसिटर जनरल से कहा था कि भीम सिंह को सरकार से मिलने की कोशिश करें। जिस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा था कि वे इस मामले में गृह सचिव से बात करेंगे।
इस दौरान ठाकुर ने भीम सिंह की इस बात पर आपत्ति जताई थी जिसमें कहा गया था कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) उन्हें पसंद नहीं करता। मुख्य न्यायाधीश ने कहा था कि ऐसे बयान नहीं चलेंगे, ऐसे बयान कोर्ट के बाहर जाकर दीजिए। RSS हो या कोई और, इससे कोर्ट को फर्क नहीं पड़ता।
केंद्र ने कश्मीर हिंसा पर SC में सौपीं थी ये स्टेटस रिपोर्ट
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट सौपीं थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि कश्मीर में 8 जुलाई से शुरू हुई हिंसा में 3 अगस्त तक कुल 872 घटनाओं में 42 नागरिकों की मौत हुई जबकि 2656 नागरिक जख्मी हुए। इस दौरान 3783 सुरक्षाकर्मी घायल हुए जबकि दो सुरक्षाकर्मियों की मौत हुई। सबसे ज्यादा हिंसा 10 जुलाई को हुई जब कश्मीर में 153 घटनाएं हुईं, लेकिन अब हालात सुधर रहे हैं पहले 22 में से दस जिलों में कफ्र्यू था और अब सिर्फ तीन जगह श्रीनगर शहर, अनंतनाग शहर और पुलवामा में कफ्र्यू है।