‘पायलटों को लेना पड़ता है जान का जोखिम’ राहुल ने कहा, ‘हमारे पायलटों को प्रत्येक दिन अपनी जान जोखिम में डालनी पड़ती है। उन्हें पुराने जगुआर को उड़ाना पड़ता है, जिसे फ्रांस और विश्व के अन्य भागों के जंक यार्डों में इसके कुछ पार्ट्स के दोबारा प्रयोग के लिए रखा जाता है। यह न केवल शर्मनाक है, बल्कि इससे भारत की प्रतिष्ठा पूरे विश्व में धूमिल होती है। इस वजह से हमारे पायलट की जान को खतरा उत्पन्न होता है। यूपीए कार्यकाल में 126 रफाल विमानों के लिए किए गए सौदे को आगे बढ़ाने से भारतीय वायुसेना का कायाकल्प हो जाता और हम जगुआर जैसे पुराने विमानों को बदलने में सक्षम होते।’
‘एचएएल को हस्तांतरित होनी थी तकनीक’ उन्होंने कहा, ‘उस सौदे में हिंदुस्तान एयरोनॉटिकल लिमिटेड को तकनीक हस्तांतरित की जानी थी, ताकि हम भविष्य में ज्यादा आत्मनिर्भर हो सकें। इसके बदले अनिल अंबानी को फायदा पहुंचाने के लिए सौदे को दोबारा तय किया गया और इसे घटाकर केवल 36 विमानों तक सीमित कर दिया गया, जो सभी फ्रांस में बनेंगे। इन विमानों को भारत में आने में वर्षों का समय लगेगा।’