इस बीच जस्टिस जे चेलामेश्वर और एस अब्दुल नजीर की पीठ ने सीबीआई को दस्तावेजों से संबंधित निर्देश भी दिया है। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा 19 सितंबर को दर्ज की गयी, प्राथमिकी से संबंधित सामान और दस्तावेज सभी सुरक्षित तरीके से रखें जाएं। गौर करने वाली बात ये है कि इस प्राथमिकी में उड़ीसा हाईकोर्ट के एक पूर्व जज को भी आरोपी के रूप में नामित किया गया है।
तभी जस्टिस जे चेलामेश्वर और एस अब्दुल नजीर की पीठ ने निर्देश दिया कि जांच ब्यूरो को सीलबंद लिफाफे में 13 नवंबर को इस मामले से सभी जुड़े दस्तावेज और सामग्री को संविधान पीठ के सामने पेश करें। क्योंकि जांच ब्यूरो की प्राथमिकी में मेडिकल में एडमिशन का आरोप लगाया गया है। आरोप है कि हाईकोर्ट के पूर्व जज सहित अन्य लोगों ने मेडिकल कॉलेज में प्रवेश से संबंधित मामले को शीर्ष अदालत द्वारा अपने पक्ष में कराने के लिए रिश्वत मांगी। इसके लिए इन लोगों ने साजिश रची और रिश्वत के रूप में मोटी रकम भी मांगी, ये आरोप लगाए गए हैं।
वहीं गुरुवार को मामले की सुनवाई शुरू होते ही सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा कि प्रधान न्यायाधीश इस मामले की सुनवाई नहीं कर सकते हैं। क्योंकि, आरोप एक ऐसे मामले से संबंधित हैं। जिसकी सुनवाई उनकी अध्यक्षता वाली पीठ ने की थी। यहां गौर करने वाली बात ये है कि कोर्ट इससे पहले इस याचिका पर सुनवाई के लिए शीघ्र तैयार हो गया था।