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आसियान में ये रहेगा पीएम मोदी का एजेंडा

Published: Sep 07, 2016 05:44:00 pm

Submitted by:

Abhishek Tiwari

आसियान 2012 से भारत का रणनीतिक साझेदार है जबकि भारत पूर्व एशियाई शि‍खर सम्मेलन का संस्थापक सदस्य देश है

PM Modi Arrives In Laos For ASEAN

PM Modi Arrives In Laos For ASEAN

लाओस। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 14वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन और 11वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए बुधवार को लाओस की राजधानी पहुंच गए हैं। इस दौरान उनके अजेंडे में नौवहन सुरक्षा, आतंकवाद, आर्थिक और सामाजिक-सांस्कृतिक सहयोग जैसे विषय होंगे।

कई मुद्दों पर होगी चर्चा
विश्व नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठक के दौरान कुछ महत्वपूर्ण विषय भी प्रधानमंत्री मोदी के अजेंडे में होंगे। दोनों शिखर सम्मेलन गुरुवार के लिए निर्धारित है। इन शिखर सम्मेलनों में आसियान के 10 राष्ट्राध्यक्ष या शासन प्रमुख और पूर्वी एशियाई सम्मेलन में 18 देश हिस्सा ले रहे हैं। पूर्वी एशियाई शिखर सम्मेलन में विभिन्‍न देशों के नेता अनेक क्षेत्रीय, अंतरराष्ट्रीय हितों से जुड़े विषयों पर चर्चा करेंगे जिसमें नौवहन सुरक्षा, आतंकवाद, परमाणु अप्रसार और पलायन जैसे विषय शामिल होंगे।

पीएम मोदी कई नेताओं के साथ करेंगे द्विपक्षीय बैठक
आसियान 2012 से भारत का रणनीतिक साझेदार है जबकि भारत पूर्व एशियाई शि‍खर सम्मेलन का संस्थापक सदस्य देश है। पूर्वी एशियाई शिखर सम्मेलन में विभिन्न देशों के नेता अनेक क्षेत्रीय, अंतरराष्ट्रीय हितों से जुडे विषयों पर चर्चा करेंगे। शिखर सम्मेलनों से इतर प्रधानमंत्री मोदी दुनिया के कई नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठक भी करेंगे।

जुलाई 2015 में आसियान-भारत मुक्त व्यापार क्षेत्र के गठन से दक्ष‍िण पूर्व एशिया की इकोनॉमी को समायोजित करने की प्रक्रिया को गति मिली है। पूर्वी एशियाई शिखर सम्मेलन एशिया प्रशांत में अहम स्थान रखता है। 2005 में गठित इस मंच ने पूर्व एशिया में रणनीतिक, भूराजनीतिक और आर्थिक विकास में इसने अहम भूमिका निभाई है।

एक्ट ईस्ट नीति पर होगा जोर
इन सम्मेलनों से इतर दुनिया के कई नेताओं के साथ होने वाली बैठकों में पीएम मोदी का जोर ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ को गति देने पर होगा। नवंबर 2014 में म्यांमार में हुए आसियान और पूर्वी एशियाई शिखर सम्मेलनों में पीएम मोदी ने ‘लुक ईस्ट पॉलिसी’ की जगह ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ को अपनाया था। आसियान के साथ रिश्ते मजबूत करने की भारत की ‘ऐक्ट ईस्ट’ नीति को साल 2015 में गति मिली और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो अहम क्षेत्रीय बैठकों में शिरकत की और मलेशिया व सिंगापुर की यात्रा कर द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत किया। अगले साल इस भागीदारी के 25 साल पूरे हो रहे हैं। पीएम मोदी इस मौके को सेलिब्रेट करने के लिए कुछ नए ऐलान भी कर सकते हैं।

आसियान से 65.04 अरब डॉलर का व्यापार
भारत और आसियान के बीच 30 मंचों पर संवाद होता है जिनमें एक सम्मेलन और 7 मंत्रीस्तरीय बैठकें भी शामिल हैं। ये बैठकें विदेश मामलों, वाणिज्य, पर्यटन, कृषि, पर्यावरण, नवीकरणीय ऊर्जा और दूरसंचार के मसले पर होती हैं। भारत और आसियान के बीच 2015-16 में 4317680400000 रुपये का व्यापार हुआ है जो दुनिया के साथ भारत के कुल व्यापार का 10.12 फीसदी है।

चीन को घेरने की कोशिश!
यह सम्मेलन ऐसे समय हो रहा है जब चीन विवादित दक्षिण चीन सागर पर अपनी दावेदारी मजबूत करने में जुटा है। इस मसले को लेकर चीन का फिलिपीन्स, वियतनाम, ताइवान, मलेशिया और ब्रुनेई से विवाद चल रहा है। आपको बता दें कि दक्षि‍ण चीन सागर के जरिये भारत का 50 फीसदी व्यापार होता है।

वियतनाम ने भारत को दक्ष‍िण चीन सागर में तेल और गैस के दोहन के लिए निवेश करने का पूरा अधिकार दे रखा है। वियतनाम का कहना है कि भारत जिस समुद्री इलाके में गैस दोहन कर रहा है वो वियतनाम के विशेष आर्थ‍िक क्षेत्र में आता है। हालांकि, चीन इस इलाके को विवादास्पद बताते हुए गैस दोहन को लेकर भारत को चेतावनी देता रहा है।

भारत और अमरीका इस अंतरराष्ट्रीय समुद्री इलाके में आवाजाही की आजादी की मांग करते रहे हैं, जिससे चीन को तकलीफ हो रही है। दक्षिण चीन सागर के मसले पर अंतरराष्ट्रीय ट्रिब्यूनल ने भी हाल में फिलिपींस के पक्ष में फैसला सुनाया है। ऐसे में भारत की कोशिश होगी कि वो सहयोगी देशों से दक्षिण चीन सागर के मसले पर चीन पर दबाव बनाने की कोशिश करे।

सामरिक साझेदारी एजेंडे में प्रमुख

दो दिनों की इस यात्रा से पहले पीएम ने कहा, हमारी एक्ट ईस्ट नीति के संदर्भ में आसियान महत्वपूर्ण साझेदार है और यह हमारे उत्तरपूर्वी क्षेत्र के आर्थिक विकास के लिए अहम है। मोदी ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा, आसियान के साथ हमारी सामरिक साझेदारी हमारे सुरक्षा हितों और क्षेत्र में पारंपरिक एवं गैर पारंपरिक सुरक्षा चुनौतियों के लिहाज से महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन एशिया प्रशांत क्षेत्र के समक्ष चुनौतियों एवं अवसरों के बारे में चर्चा करने को प्रमुख मंच है।

कनेक्टिविटी पर जोर

पीएम मोदी ने कहा है कि दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के साथ भारत के संबंध सही अर्थों में ऐतिहासिक हैं। हमारे जुड़ाव एवं पहल को एक शब्द से व्यक्त किया जा सकता है और वह ‘कनेक्टिविटी’ है। पीएम ने कहा, हम अपनी भौतिक और डिजिटल कनेक्टिविटी को बढ़ाना चाहते हैं, लोगों के बीच वृहत सम्पर्क बढ़ाने के साथ अपने संस्थागत संबंधों को मजबूती प्रदान करना और एक दूसरे से जुड़ी आधुनिक दुनिया का लाभ हमारे अपने लोगों के साझे फायदे के लिए करना चाहते हैं।
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