कार्यक्रम में बजे हैप्पी बर्थडे टू यू जैसे गाने
प्रधानमंत्री ने रविवार को पहले कांवड़िया कॉलनी जा कर बांध पर नर्मदा की पूजा-अर्चना की और उसके बाद वहां से लगभग 50 किलोमीटर दूर डभोई शहर में आयोजित एक बड़े सरकारी कार्यक्रम में बांध देश को समर्पित किया। सरकार की ओर से आयोजित होने के बवजूद इसमें चुनावी तड़का जम कर लगाया गया था। पार्श्व में लगातार नमो-नमों की बजती धुन और भजनों के साथ इस मौके पर बड़ी संख्या में देश भर के साधु-संतों को भी न्यौता दिया गया था। साथ ही मोदी के जन्मदिन को देखते हुए बीच-बीच में हैप्पी बर्थडे टू यू जैसे गाने भी बज रहे थे। साधु-संतों के लिए मुख्य मंच के दोनों ओर बड़े-बड़े मंच बनाए गए थे। इसके साथ ही मां नर्मदा महोत्सव यात्रा का भी समापन हुआ जिसे राज्य सरकार बांध का फायदा बताने के लिए राज्य के सभी जिलों में ले कर गई थी।
प्रधानमंत्री ने रविवार को पहले कांवड़िया कॉलनी जा कर बांध पर नर्मदा की पूजा-अर्चना की और उसके बाद वहां से लगभग 50 किलोमीटर दूर डभोई शहर में आयोजित एक बड़े सरकारी कार्यक्रम में बांध देश को समर्पित किया। सरकार की ओर से आयोजित होने के बवजूद इसमें चुनावी तड़का जम कर लगाया गया था। पार्श्व में लगातार नमो-नमों की बजती धुन और भजनों के साथ इस मौके पर बड़ी संख्या में देश भर के साधु-संतों को भी न्यौता दिया गया था। साथ ही मोदी के जन्मदिन को देखते हुए बीच-बीच में हैप्पी बर्थडे टू यू जैसे गाने भी बज रहे थे। साधु-संतों के लिए मुख्य मंच के दोनों ओर बड़े-बड़े मंच बनाए गए थे। इसके साथ ही मां नर्मदा महोत्सव यात्रा का भी समापन हुआ जिसे राज्य सरकार बांध का फायदा बताने के लिए राज्य के सभी जिलों में ले कर गई थी।
मोदी ने बताए बांध के फायदे
इसे देश को समर्पित करते हुए मोदी ने कहा, ‘इससे उत्तम कोई संयोग नहीं हो सकता कि आज विश्वकर्मा जयंती है। भारत में सदियों से जो निर्माण के काम में लगे हैं और उन तकनीशियनों, इंजीनियरों और मजदूरों को समर्पित है।’ इसी तरह अपने जन्मदिन पर लगातार मिल रही बधाई पर उन्होंने कहा, ‘मैं मैं जन्मदिन मनाने वाले लोगों में नहीं रहा। लेकिन यह पहला मौका है जब जन्मदिन पर ही विश्वकर्मा जयंति भी है और इस तरह से कोटि-कोटि लोगों का आशीर्वाद मिल रहा है।’ बांध के फायदे बताते हुए उन्होंने कहा कि इससे पानी नहीं पारस निकलेगा। इसका स्पर्ष धरती के जिस कोनो में होगा वह स्वर्णिम बन जाएगी। यह मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र के करोड़ों किसानों के भाग्य को बदलने वाला है। इस मौके पर गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी मौजूद थे।
इसे देश को समर्पित करते हुए मोदी ने कहा, ‘इससे उत्तम कोई संयोग नहीं हो सकता कि आज विश्वकर्मा जयंती है। भारत में सदियों से जो निर्माण के काम में लगे हैं और उन तकनीशियनों, इंजीनियरों और मजदूरों को समर्पित है।’ इसी तरह अपने जन्मदिन पर लगातार मिल रही बधाई पर उन्होंने कहा, ‘मैं मैं जन्मदिन मनाने वाले लोगों में नहीं रहा। लेकिन यह पहला मौका है जब जन्मदिन पर ही विश्वकर्मा जयंति भी है और इस तरह से कोटि-कोटि लोगों का आशीर्वाद मिल रहा है।’ बांध के फायदे बताते हुए उन्होंने कहा कि इससे पानी नहीं पारस निकलेगा। इसका स्पर्ष धरती के जिस कोनो में होगा वह स्वर्णिम बन जाएगी। यह मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र के करोड़ों किसानों के भाग्य को बदलने वाला है। इस मौके पर गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी मौजूद थे।
अस्मिता से जोड़ा
बांध को अस्मिता और भावनाओं से जोड़ते हुए मोदी ने कहा कि सरदार पटेल ने आजादी से पहले ही इस बांध का सपना देखा था। यहां तक कि एक बार विश्व बैंक ने भी इसके लिए पैसे देने से मना कर दिया था। तब मंदिरों के पैसे से यह काम हुआ। हम एक बार संकल्प ले लेते हैं तो उसे पूरा करने का सामर्थ्य रखते हैं।
बांध को अस्मिता और भावनाओं से जोड़ते हुए मोदी ने कहा कि सरदार पटेल ने आजादी से पहले ही इस बांध का सपना देखा था। यहां तक कि एक बार विश्व बैंक ने भी इसके लिए पैसे देने से मना कर दिया था। तब मंदिरों के पैसे से यह काम हुआ। हम एक बार संकल्प ले लेते हैं तो उसे पूरा करने का सामर्थ्य रखते हैं।
खुद के लिए भी भावुक पल
कभी बांध के लिए अनशन कर चुके मोदी के लिए यह वाकई बड़ा दिन था। उन्होंने कहा, ‘पानी की बूंद के लिए तरसती धरती मां को जब पानी बेटा देता है तो उससे ज्यादा भावुक पल क्या हो सकता है।’
कभी बांध के लिए अनशन कर चुके मोदी के लिए यह वाकई बड़ा दिन था। उन्होंने कहा, ‘पानी की बूंद के लिए तरसती धरती मां को जब पानी बेटा देता है तो उससे ज्यादा भावुक पल क्या हो सकता है।’
कभी छोटा नहीं सोचता
बांध के बीचों-बीच बन रही सरदार पटेल की मूर्ति ‘स्टेच्यू ऑफ यूनिटी’ का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा ‘आप भली-भांति जानते हैं, मुझे छोटा काम जंचता ही नहीं है। सरदार साहब की स्टेच्यू बनाने की सोची थी, तब मन में ठान ली थी कि दुनिया में सबसे ऊंची होगी। अब 182 मीटर की प्रतिमा बन रही है जो अमेरिका के स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी से दुगनी ऊंची होगी।’
बांध के बीचों-बीच बन रही सरदार पटेल की मूर्ति ‘स्टेच्यू ऑफ यूनिटी’ का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा ‘आप भली-भांति जानते हैं, मुझे छोटा काम जंचता ही नहीं है। सरदार साहब की स्टेच्यू बनाने की सोची थी, तब मन में ठान ली थी कि दुनिया में सबसे ऊंची होगी। अब 182 मीटर की प्रतिमा बन रही है जो अमेरिका के स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी से दुगनी ऊंची होगी।’
जवानों को भी लाभ
मेरे मन में इच्छा थी कि भारत-पाकिस्तान सीमा पर रेगिस्तान में देश की हिफाजत करने वाले जवानों तक पीने का पानी ले जाऊं। अब इस बांध का पानी सात सौ किलोमीटर दूर तक पहुंचेगा। जहां पहले सिर्फ ऊंट के जरिए ही जाता था।
मेरे मन में इच्छा थी कि भारत-पाकिस्तान सीमा पर रेगिस्तान में देश की हिफाजत करने वाले जवानों तक पीने का पानी ले जाऊं। अब इस बांध का पानी सात सौ किलोमीटर दूर तक पहुंचेगा। जहां पहले सिर्फ ऊंट के जरिए ही जाता था।