पीएम ने कहा कि इस मौके पर लाल किले पर तिरंगा फहराना उनका सौभाग्य है। साथ ही उन्होंने कहा कि यह वही लाल किला है जहां पर विक्ट्री परेड का सपना 75 वर्ष पूर्व नेता जी सुभाष चंद्र बोस ने देखा था। उल्लेखनीय है कि 21 अक्टूबर 1943 के दिन सुभाष चंद्र बोस ने आजाद भारत की पहली अस्थायी सरकार बनाई थी।
– अपने संबोधन में पीएम मोदी ने नेता जी सुभाष चंद्र बोस को याद करते हुए उन्हें नमन किया। पीएम मोदी बोले, “आज मैं उन माता-पिता को नमन करता हूं जिन्होंने नेता जी सुभाष चंद्र बोस जैसा सपूत देश को दिया। मैं नतमस्तक हूं उस सैनिकों और परिवारों के आगे जिन्होंने स्वतंत्रता की लड़ाई में खुद को न्योछावर कर दिया।”
– आजाद हिंद सरकार सिर्फ नाम नहीं था, बल्कि नेताजी के नेतृत्व में इस सरकार द्वारा हर क्षेत्र से जुड़ी योजनाएं बनाई गई थीं। इस सरकार का अपना बैंक था, अपनी मुद्रा थी, अपना डाक टिकट था, अपना गुप्तचर तंत्र था
– नेताजी का एक ही उद्देश्य था, एक ही मिशन था भारत की आजादी। यही उनकी विचारधारा थी और यही उनका कर्मक्षेत्र था। – भारत अनेक कदम आगे बढ़ा है, लेकिन अभी नई ऊंचाइयों पर पहुंचना बाकी है। इसी लक्ष्य को पाने के लिए आज भारत के 130 करोड़ लोग नए भारत के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे हैं। एक ऐसा नया भारत, जिसकी कल्पना सुभाष बाबू ने भी की थी।
– कैम्ब्रिज के अपने दिनों को याद करते हुए सुभाष बाबू ने लिखा था कि – “हम भारतीयों को यह सिखाया जाता है कि यूरोप, ग्रेट ब्रिटेन का ही बड़ा स्वरूप है। इसलिए हमारी आदत यूरोप को इंग्लैंड के चश्मे से देखने की हो गई है।”
– आज मैं निश्चित तौर पर कह सकता हूं कि स्वतंत्र भारत के बाद के दशकों में अगर देश को सुभाष बाबू, सरदार पटेल जैसे व्यक्तित्वों का मार्गदर्शन मिला होता, भारत को देखने के लिए वो विदेशी चश्मा नहीं होता, तो स्थितियां बहुत भिन्न होतीं।
चीन, पाकिस्तान और गांधी परिवार पर बोला हमला पीएम मोदी ने लाल किले से अपने संबोधन में अप्रत्यक्ष तौर पर बिना नाम लिए हुए गांधी परिवार, चीन और पाकिस्तान पर भी निशाना साधा। पीएम मोदी ने कहा कि यह भी दुखद है कि एक परिवार को बड़ा बताने के लिए, देश के अनेक सपूतों, वे चाहें सरदार पटेल हों, बाबा साहेब आंबेडकर हों, उन्हीं की तरह ही, नेताजी के योगदान को भी भुलाने का प्रयास किया गया।
दुनिया को भारत की ताकत का एहसास करते हुए पीएम मोदी बोले, “आज मैं कह सकता हूं कि भारत अब एक ऐसी सेना के निर्माण की तरफ बढ़ रहा है, जिसका सपना नेताजी ने देखा था। जोश, जुनून और जज्बा तो हमारी सैन्य परंपरा का हिस्सा रहा ही है, अब तकनीक और आधुनिक हथियारों की शक्ति भी जुड़ रही है।”
उन्होंने आगे कहा हमारी सैन्य ताकत हमेशा से आत्मरक्षा के लिए रही है और आगे भी रहेगी। हमें कभी किसी दूसरे की भूमि का लालच नहीं रहा, लेकिन भारत की संप्रभुता के लिए जो भी चुनौती बनेगा, उसको दोगुनी ताकत से जवाब मिलेगा।