क्या पॉक्सको एक्ट
पॉक्सो का पूरा नाम द प्रोक्टेशन आॅफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल आॅफेंसेस एक्ट है। ये विशेष कानून सरकार ने साल 2012 में बनाया था। इस कानून के जरिए नाबालिग बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराध और छेड़छाड़ के मामलों में कार्रवाई की जाती है। यह एक्ट बच्चों को सेक्सुअल हैरेसमेंट,सेक्सुअल असॉल्ट और पोर्नोग्राफी जैसे गंभीर अपराधों से सुरक्षा प्रदान करता है। इस कानून के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गई है। पॉक्सको कनून के तहत अपराधों की सुनवाई,एक विशेष न्यायालय द्वारा कैमरे के सामने बच्चे के माता पिता या जिन लोगों पर बच्चा भरोसा करता है, उनकी उपस्थिति में होती है।
अध्यादेश पास होती बीस साल की सजा
केंद्र सरकार ने पॉक्सो ऐक्ट में बदलाव किया है, जिसके तहत अब 12 साल तक की बच्ची से रेप के दोषियों को मौत की सजा मिलेगी। सरकार की ओर से रखे गए इस प्रस्ताव को केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है। हाल ही में प्रधानमंत्री आवास पर केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया। अब सरकार इसके लिए अध्यादेश लाएगी। इसके तहत 12 साल की बच्चियों से रेप पर फांसी की सजा है, वहीं 16 साल से छोटी लड़की से गैंगरेप पर उम्रकैद की सजा क प्रावधान है। 16 साल से छोटी लड़की से रेप पर कम से कम 20 साल तक की सजा रखी गई है। जिस समय नाबालिग से रेप हुआ था हुआ वह बारहवीं की छात्रा थी। ऐसे में अध्यादेश पास होने पर आसाराम को कम से कम बीस साल की सजा हो सकती थी। हालांकि आसाराम पर कई महिलाओं से दुष्कर्म के आरोप हैं। जिसमें उन्हें सजा मिलना बाकी है।